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प्रेम, भक्ति और संस्कृति के अदभुत संगम की प्रतीक, विश्व प्रसिद्ध पर्यटन नगरी खजुराहो।।

 भारतबर्ष के हृदयस्थल मध्य प्रदेश में स्थित एक छोटा सा नगर खजुराहो, जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। मतंगेश्वरधाम खजुराहो को प्राचीनकाल में 'खजूरपुरा' या 'खजूरवाहिका' के नाम से जानते थे। यहाँ पर प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों की नगरी खजुराहो, पूरे विश्व में पत्थरों से निर्मित मंदिरों और उनकी कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलंकृत मंदिर, देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक भारतबर्ष ही नहीं वरन दुनियाँ भर के आगन्तुक और पर्यटकों को संस्कृति, प्रेम और समर्पण के प्रियतम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आकर्षित रहते हैं। हिन्दूकला, स्थापत्य और संस्कृति को शिल्पियों ने पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था। विभिन्न भावभंगिमाओं, कामक्रीडाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के साथ उभारा गया है। संस्कृतिक नगरी के मंदिर, एक सभ्य सन्दर्भ, जीवंत सांस्कृतिक संपत्ति, मानव संरचनाओं और संवेदनाओं को संयुक्त करती हैं। मिट्टी से पैदा हुआ कैनवास, जो अपने शुद्धतम रूप में जीवन का चित्रण पत्थरों पर उत्क्रीण करता है।

    यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल,

खजुराहो स्मारक समूह, विश्व धरोहर सूची में अंकित है।

 

    बुंदेलखंड के अंचल में, चंदेलवंश, कालिंजर के द्वारा ९५० से लेकर १०५० ई. के मध्य निर्मित, यहाँ के मंदिर, भारतीय कला के सबसे महत्वपूर्ण नमूनों में से एक हैं।

 हिंदू और जैन मंदिरों को आकार लेने में, लगभग सौ बर्षों का समय लग। मूल रूप से ८५ ऐतिहासिक मंदिरों का एक संग्रह, जो कि समय की उदासीनता और रखरखाव की कमी के कारण से संख्या २२+०१=२३ तक रह गई है। 

 यूनेस्को विश्व विरासत स्थल, मंदिर परिसर को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है- पश्चिमी(१०), पूर्वी(१०) नक्काशीदार जैन मंदिर और दक्षिणी(०२+०१)। 

 जैन मंदिर चंदेल शासन के दौरान क्षेत्र में, फलते-फूलते जैनधर्म के लिए बनाए गए थे। पश्चिमी और दक्षिणी भाग के मंदिरों में विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित हैं, इनमें से आठ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित हैं, छह शिव को, एक-एक गणेश और सूर्य को जबकि तीन जैन तीर्थंकरों को हैं। कंदरिया महादेव मंदिर, संरक्षित शेष मंदिरों में सबसे बड़ा है।


खजुराहो के ऐतिहासिक मंदिर- धर्म, आध्यात्म, संस्कृति और वेदों पर आधारित हैं। खजुराहो जीवन जीने की पाठशाला/कला और प्रयोगशाला है। यहाँ के मंदिरों से व्यक्ति अपने जीवन के चार पुरुसार्थ धर्म, अर्थ, काम को करते हुए मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। आध्यात्मिक नगरी के मंदिरों में सदैव संचारित/प्रवाहित होने वाली ऊर्जा को व्यक्ति महसूस करके जीवन को सार्थकता प्रदान कर सकता है।


 खजुराहो के अधिष्ठाता भगवान श्रीमतंगेश्वर महादेव के मंदिर में स्थित, दृश्य शिवलिंग(आठ फिट, आठ इंच ऊँची) सदैव से जीवन में प्रेरणादायी और मनोवांछित फल पाने की अभिलाषा पूर्ण होती है।


धार्मिक नगरी खजुराहो सदैव से साधना, तपोस्थली और योगियों की शरणस्थली रही है। यहाँ पर मतंग ऋषि से लेकर नारायण महराज, प्रेमगिरि महाराज, पदम् बाबा जी ने योग और तप के माध्यम से हजारों लोगों को सन्मार्ग पर चलने की शिक्षा दी।

रामकथा के माध्यम से प्रशिद्ध कथाकार मुरारीबापू जी, वेदकथा के माध्यम से वेदज्ञ डॉ उमाशंकर नगाइच जी और जैन समाज के सबसे बड़े जैन मुनि श्री आचार्य विद्यसागर जी महाराज ने खजुराहो में चातुर्मास प्रवास करके यहाँ की तपोभूमि को सदैव जाग्रत करने का श्रेष्ठ कार्य किया। 

 इस दौरान संतप्रेमी और पर्यटन विद पंडित सुधीर शर्मा जी ने पुरुसार्थ करते हुए सेवाकार्यो के माध्यम से कीर्तिमान स्थापित किया, जिसे देश से लेकर विदेशों तक सराहा गया।


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