गाँधी जी की लीक और मोदी जी की लकीर
15 अगस्त, 2014 को ‘स्वच्छता ही सेवा’ का नारा दिया था परिणाम स्वरुप आज भारत खुले में शौच से मुक्त हो चुका है। यह हमारे देश के लिये गौरव की बात है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत अब तक देश में 7.9 करोड़ इज्जतघर बनाकर गरीबों को सच्ची इज्जत दिलाने का काम मोदी जी ने किया है।
जनांदोलन के जनक: महात्मा गाँधी जब स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ रहे थे तो उन्होंने पहली बार देश में जन-आंदोलन का रूप दिया। अर्थात् आज़ादी की लड़ाई को जनांदोलन में बदलकर दुनिया को जनता की ताकत का एहसास कराया। बापू ने प्रत्येक भारतवासी को इससे जोड़ दिया। इसी तरह प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी तमाम ऐतिहासिक निर्णय लेकर जनता से सीधा जोड़े और हर भारतवासी को यह एहसास करवाया कि यह फैसला हर भारतवासी के हित के लिए है।
स्वच्छ भारत: बापू स्वच्छता को महत्वपूर्ण मानते थे और उनकी सोच थी कि स्वच्छता से देश में गरीबी और बीमारी से मुक्ति मिल सकती है। श्री नरेन्द्र मोदी जब देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने भी स्वच्छ भारत अभियान प्रारंभ किया। फिर इसी अभियान को एक राष्ट्रीय जनांदोलन का रूप दिया। गांव की गली से लेकर महाननगरों की अट्टालिकाओं में रहने वाले, वृद्ध से लेकर बालक तक इस अभियान में शामिल हो गए। अभी थल, जल और नभ, तीनों की स्वच्छता की बात हर भारतीय के हृदय में हिलोरें मार रही है। खुले में शौचालय जाना एवं सिर पर मैला ढ़ोने की प्रथा वर्षों से भारतीय जनमानस के लिये अभिशाप थी। मोदी जी ने गाँधी जी के इस सपने को जन सहयोग से पूर्ण कर दिखाया। लाल किले की प्राचीर से
आतंकवाद : राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी शांति और अहिंसा के पुजारी थे। प्रधानमंत्री श्री मोदी जी इन दोनों को अक्षुण्ण रखने के लिए अपनी कार्यकुशलता और चिन्तन से इसे आँच पहुंचाने वाले तत्वों पर जमकर प्रहार कर भारत को विश्वगुरु के मार्ग पर ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। उन्होंने विश्व को संदेश दिया कि भारत युद्ध का नहीं, बुद्ध का देश है।
श्री मोदीजी ने आतंकवाद, उग्रवाद, कट्टरपंथ और घृणा के खिलाफ लड़ाई शुरू की है, तो शांति और अहिंसा को प्रभावित करने वालों की दुनिया उनके साथ एकत्र होने लगी है। आज चारों ओर भारत ने अपनी साख व प्रभाव के आधार पर सिद्ध कर दिया है कि हम बुद्ध के उपासक हैं। करुणा, दया, प्रेम, ममता व ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ हमारी संस्कृति है। तो उसके साथ ही हमको यदि आँखें दिखाई तो हमारे परमाणु शस्त्र भी लेह से लेकर डोकलाम तक और कच्छ से लेकर कश्मीर तक तैयार हैं।
गरीबों की पीड़ा समझना : राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की सबसे प्रिय पंक्ति थी
‘वैष्णव जन तो तेने कहए, जे पीर पराई जाणे रे।’ प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने आजादी के छह दशक बाद गरीबों की पीड़ा को समझा और उनकी पीड़ा दूर करने के सारे रास्ते खोल दिए। सरकार के हर फैसले, कार्यक्रम और योजनाओं में समाज के अंतिम व्यक्ति की चिंता और चिन्तन के साथ ही उसे अगली पंक्ति में लाने के उपाय किये हैं। चाहे वह ‘उज्जवला योजना’ में माताओं-बहिनों को मिलने वाले गैस सिलैण्डर से उनको चौका-चूल्हे में धुआं से मुक्ति मिली है। मोदी जी की ‘सौभाग्य योजना’ हो या ‘जनधन योजना’ सभी को गरीब कल्याण से जोड़ रखा है।
राष्ट्रभाषा हिंदी की स्थापना : राष्ट्रभाषा हिन्दी के संबंध में गाँधी जी दृढ़ निश्चयी थे। मोदी जी ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हिन्दी भाषा को सम्मान दिलाने हेतु न केवल हर भाषण हिन्दी में दिया है। एवं सरकारी कार्यों में हिन्दी का भरपूर प्रयोग हो रहा है।
खादी का प्रयोग : खादी फार नेशन का नारा मोदी जी ने दिया है जो युवाओं, महिलाओं अमीर से गरीब सबने माना है। देश भर में खादी की बिक्री कई गुना बढ़ने के कारण ग्रामीणों को रोजगार मिला अपितु उनकी आर्थिक उन्नति होने लगी।
सत्य वचन : गाँधी जी सदा सत्य वचन बोलने का आग्रह करते रहे। उनके कहे कथन आज कांग्रेस पार्टी ने भले ही भुला दिये हों, लेकिन नरेन्द्र मोदी जी ने जनता से कहा गया एक-एक वचन समय पर पूरा किया है। ‘सांच को आंच नहीं’ इसलिये मोदी जी द्वारा उद्घोषित वाक्य जनता की आवाज बन जाते हैं। गाँधी जी की यह अवधारणा मोदी जी चरितार्थ कर रहे हैं।
चरखा : चरखा स्वरोजगार व आत्म निर्भरता का प्रतीक है। गाँधी जी के चरखे को मोदी जी ने रोजगार से जोड़कर स्वदेशी व स्वाभिमान भाव को जागृत कर दिया। एअरपोर्ट से लेकर सभी महत्वपूर्ण स्थानों तक चरखा स्थापित करा दिया है। जो संदेश है कुटीर उद्योगों की प्रगति का, रोजगार का, स्वावलंबन का। यह आजादी का शस्त्र होता था किन्तु आज यह आर्थिक आजादी व प्रगति का प्रतीक है।
सीखने की कोई उम्र नहीं : हर समय सीखते रहना चाहिए। गाँधी जी ने यह संदेश दिया था। वह स्वयं नये-नये प्रयोग करते थे। सत्याग्रह का समय हो या अन्य आंदोलन, गाँधी जी सदैव सीखने की बात करते रहे हैं। आज नरेन्द्र मोदी जी भी नई-नई चीज़ें सीखकर उनको सांझा करते हैं। चाहे बात कौशल भारत की आती हो या स्टार्ट अप की या स्टैंड अप की या मेक इन इंडिया की सब जगह नवीन प्रयोग की दिशा गाँधी मार्ग पर जाती है।
योग, प्राणायाम, व्यायाम : गाँधीजी की इन तीनों बातों को मोदी जी ने खूभ निभाया है। योग दिवस को विश्व के 183 देशों में स्थापित कर दिया है। मोदीजी ने सभी देशवासियों से आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्र में इनका प्रचार-प्रसार करें। स्वयं स्वस्थ रहें व दूसरों को प्रेरित करें। आज योग दिवस 21 जून विश्व पटल पर स्थापित होना, गाँधी जी को सच्ची श्रद्धांजलि है।
मितव्ययता : गाँधी के विचारों में मितव्ययता की खूब चर्चा होती है। मोदी जी ने डीबीटी (डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर) के माध्यम से सिद्ध कर दिया कि पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जाएगा। बिना रुकावट, बिना एक भी पैसा अतिरिक्त व्यय कर के गाँधी जी के इस सिद्धांत को मोदी जी ने पूर्ण किया है। आज सरकारी कार्यों में पारदर्शिता व मितव्ययता स्थापित हो चुकी है।
गाँधीजी की 150वीं जयंती : गाँव-गाँव सांसदों की पदयात्रा, तिरंगा लेकर गाँधी जी के संदेशों को देने के लिए हमारे सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधि लगे हुये हैं। महात्मा गाँधी जी ने ‘गाँव चलो’ का नारा दिया था। उसी को चरितार्थ करने के लिए मोदी जी ने भी गांवों में पदयात्रा, चौपाल, रात्रि विश्राम, गांव में ही विकास की योजना बनाने की बात करके आधुनिक गांधी जी का स्वरूप जीवंत कर दिया है।
सादा जीवन, उच्च विचार : गाँधी जी ने सादा जीवन जीते हुये नये-नये विचार रखे। मोदी जी ने लालबत्ती हटाकर वी.आई.पी. संस्कृति को समाप्त किया। आम व खास दोनों एक है। यह भाव लोगों के मन में मोदी जी ने पैदा किया जो स्तुत्य है। सादगी व विनम्रता मोदी जी ने फैला दी है।
गाँधी जी के ग्राम स्वराज और रामराज की कल्पना को भी प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा कार्यरूप में लाया है। गाँधीजी गाँवों को शक्ति संपन्न बनाने के पक्षधर थे। मोदीजी ने ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों को सीधा अधिकार देकर वित्त, विधायी एवं विकास की शक्ति से संपन्न बनाने का काम किया है। इसी तरह बापू ने सर्वोदय का सिद्धांत दिया, अर्थात् सभी का उदय हो। मोदीजी ने भी ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ पर चलकर सर्वोदय के सपने को भी साकार किया है।
आज गाँधी जयंती के अवसर पर ऐसे महात्मा को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि !!
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
महाकौशल प्रांत (मध्य प्रदेश)
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