पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा चतुर्थ व्याख्यान माला का आयोजन 13 दिसम्बर को छतरपुर में
*‘’भारतीय प्राचीन काल गणना: ऐतिहासिक महत्व व वैज्ञानिक विश्लेषण पर डॉ. मोहन यादव जी, उच्च शिक्षा मंत्री का होगा व्याख्यान *
सतना/ छतरपुर/ नई दिल्ली। * पं.गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास के तत्वावधान में प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष भी महाराजा छत्रसाल की नगरी छतरपुर में चतुर्थ व्याख्यानमाला का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर *डॉ. मोहन यादव जी मुख्य वक्ता(उच्च शिक्षा मंत्री, म.प्र.) रहेंगे। व्याख्यान माला का विषय ‘’भारतीय प्राचीन काल गणना: ऐतिहासिक महत्व व वैज्ञानिक विश्लेषण * है।आयोजन समिति के संयोजक विनोद रावत ने बताया कि आधुनिक काल में इस विषय की हम सबको जानकारी होना बहुत ही ज़रूरी है, क्योंकि हम भारतीय कालगणना तो प्रतिदिन अपनाते भी हैं एवं उसके अनुसार जीवन भी व्यतीत करते हैं।पं. गणेश प्रसाद मिश्र दद्दा जी स्वयं भूगोल विषय के मेधावी छात्र थे। वे प्राथमिक शिक्षा के समय से ही तारामंडल, रेखाओं एवं ग्रहों की संरचनाओं को एटलस एवं ग्लोब के माध्यम से बच्चों को समझाते थे। मुझे लगता है कि आधुनिक पीढ़ी में इन सब विषयों में हमारे अभिभावक काफ़ी पीछे रहते हैं इसीलिए इस विषय का चयन करके इस क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉ. मोहन यादव जी को प्रमुख अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है।डॉ. मोहन यादव जी ने उज्जैन स्थित भारत के प्राचीन शोध केंद्र के रूप में अनेक स्थान निर्मित व विकसित किए हैं एवं उनकी वैज्ञानिकता भी सिद्ध की है। डॉ. मोहन यादव जी केवल एक राजनेता मात्र नहीं हैं बल्कि उन्होंने विक्रमादित्य शोध पीठ की स्थापना भी की है।विक्रमादित्य पर शोध कार्य हेतु खगोलीय काल गणना के लिए विश्व भर में विख्यात डूंगला, उज्जैन में विश्व स्तरीय वेधशाला का निर्माण कराया है। उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखी हैं।जिनमें प्रमुख रूप से संकल्प, शुभकृत, क्रोधी, विश्वावसु, पराभव आदि।भारतीय चैत्र नव वर्ष पर भारतीय तिथिपत्र पंचाग का प्रकाशन व जन -जन तक इसका नि:शुल्क वितरण का कार्य वे नियमित करते हैं।डॉ. मोहन यादव जी ने सम्राट विक्रमादित्य द्वारा आरंभ विक्रम संवत् नव वर्ष प्रतिपदा के दिन को विक्रमोत्सव मनाने की परंपरा प्रारंभ की है। उन्होंने महानाट्य ‘सम्राट विक्रमादित्य’ की रचना की और यह देश का दूसरा व प्रदेश का पहला महानाट्य बन गया है।इसमें 300 से अधिक कलाकारों की प्रस्तुति एवं विशेष प्रकार के नाट्य महाआयोजन की रचना की है।महाराजा भोज नाट्य की परिकल्पना, निर्माण एवं मंचन भी उन्होंने ही प्रारंभ किया है।श्रीकृष्ण उज्जयनी कालजयी नाटक की परिकल्पना, निर्माण एवं प्रस्तुति भी उन्होंने प्रारंभ की ।डॉ. मोहन यादव जी ने शिप्रा परिक्रमा,श्री कृष्ण- सुदामा सांदीपनि यात्रा हो या महाकालेश्वर से बोरेश्वर की जल संरक्षण यात्रा हो, यह भी उनकी सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक चेतना जागृत करने की भावना दर्शाता है। डॉ. मोहन यादव जी भारतीय संस्कृति एवं दर्शन को सरल रूप में नई पीढ़ी को दिग्दर्शन करने के लिए अनेकों आयोजन करते रहते हैं।अतः इस वर्ष *पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास ने इस महत्वपूर्ण विषय के साथ पूर्ण न्याय करने वाले विद्वान अतिथि को आमंत्रित किया है।
आगामी 13 दिसंबर, 2020 ( रविवार ) को दोपहर 2 बजे महाराजा छत्रसाल ऑडिटोरियम, किशोर सागर तालाब के निकट छतरपुर(म.प्र.) में यह व्याख्यानमाला आयोजित की जा रही है। इस व्याख्यानमाला में डॉ. राकेश मिश्र (अध्यक्ष, पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अ. भा. विद्यार्थी परिषद) विषय की प्रास्ताविक भूमिका रखेंगे।
कार्यक्रम में सभी प्रबुद्ध जनों को आमंत्रित करने हेतु एक संचालन समिति बनायी गई है। प्रवीण गुप्ता जी ने कहा है कि न्यास पहले तीन वर्षों से भी ऐसी तीन व्याख्यान मिलायें आयोजित कर चुका है। जिसमें ख्याति लब्ध विद्वानों को बुलाया जा चुका है। सेवा न्यास ने कोविड -19 काल में भी नौ विषयों पर वेबिनार आयोजन कर एक लाख लोगों को लाभान्वित कराया है। अब यह कार्यक्रम आडीटोरियम में आयोजित किया जा रहा है।यदि आवश्यकता हुई तो इसका प्रसारण डिजिटल लाइव भी कर सकेंगे । पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास के यू ट्यूब चैनल एवं न्यास की वेबसाइट पर सभी व्याख्यान मालायें सुनने हेतु उपलब्ध हैं।न्यास की सचिव श्रीमती आशा रावत ने सभी को समय पर उपस्थित रहने का अनुरोध किया है
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