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विकास के नाम पर विनाश की लीला नही रचने देंगे हमारा जीवन व अस्तित्व वनों से है हीरों से नही : दादा गुरु बकस्वाहा के जंगलो मे प्रस्तावित हीरा खनन क्षेत्र मे पहुंचे दादा गुरु

 बकस्वाहा / -  गत दिवस मां नर्मदा के पथ के महायोगी संत समर्थ सद्गुरु भैयाजी सरकार दादा गुरु  बकस्वाहा के जंगलों एवं  आस पास के प्राचीन सिद्ध देव तक पहुंच कर दर्शन पूजन चिंतन किया और बकस्वाहा जंगल बचाओ अभियान से जुड़े स्थानीय ग्रामीण जनों एवं पत्रकार बंधुओं से मिले। उन्होंने  बकस्वाहा के जंगलों को बचाने का आह्वान करते हुए संदेश दिया कि पूंजीपति कंपनियों से जुड़े दलाल व्यवस्था रोजगार विकास के नाम पर ग्रामीण जनों को भ्रमित कर रहे हैं,अमूल्य वन संपदा धरोहर जो सदियों से हमारे जीवन हमारी व्यवस्था का मूल आधार है , पूंजीपति कंपनियों के प्रलोभन में आकर अपने जीवन क्षेत्र से खिलवाड़ कर रहे है, विकास के नाम पर लाखों वृक्षों को काटने की योजना बना कर विनाश की लीला रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूंजीपति कंपनियों दलालों दबंगों के आकर्षण प्रलोभन से ग्रामीण जन दूर रहे, इन्हीं जंगलों से हमारा जीवन है हमारी व्यवस्था है।  उन्होंने कहा कि वनों से आत्मनिर्भरता है, हमारे गांव वनों से विकास की ओर अग्रसर रहता । जरा सोचिए - ग्रामीणों की मूल वन संपदा को खत्म करने की साजिश की जा रही हैं, ग्रामवासी चिंतन करें ,ये जंगल सदियों से हमें पाल रहे है ,पीढ़ियों से हमारा परिवार पल रहा है।कोई भी कम्पनी जितना वनों ने दिया व दे रहे है कोई कर नही सकता।

प्रस्तावित हीरा खदान एरिया सगोरिया वन एरिया सहित है यह वनभाग का जंगल '6 से '9 घनत्व का सघन वन है , जिस पर किसी भी प्रकार का खनन दोहन करना नीति नियमों के विरुद्ध है व पूर्णतःअवैध है तथा मूल्यवान प्रजाति का मिश्रित वन क्षेत्र है, इस वन में लघु वन उपज प्राप्त होने वाली प्रजाति महुआ ,अचार ,तेंन्दू,आयुर्वेदिक जडीबुटी आदि जो वन सीमा के लगे 10 से 15 गांव में निवास करने वाले ग्रामीण व आदिवासी वन उपज संग्रहण कर पूरे वर्ष अपने परिवार की रोजी रोटी चलाने का मूल साधन है।

अनुमानित एक व्यक्ति पचास हजार रुपया से एक लाख तक की वनोपज इकठ्ठा संग्रह करता है उस वन से लगे अनुमानित दस पन्द्रह हजार से अधिक सदस्य है।

यदि देखा जाए कि एक परिवार में औसतन तीन सदस्य होते हैं तो यह माना जाता है कि पांच हजार परिवार इस वन क्षेत्र से पालन पोषण हो रहा है , इस प्रकार इस वन से प्रतिवर्ष एक सदस्य की आय यदि औसत पचहत्तर हजार रुपए बार्षिक लगाई जाये तो 1125 करोड अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त इन आश्रित परिवारों को मिलता है , प्राणवायु का कोई मूल्य नहीं है , कम्पनी सिर्फ 400 वयस्कों को रोजगार वर्ष भर देगी ,यदि अनुमानित एक व्यक्ति को बर्ष में पन्द़ह हजार रूपया माह से एक लाख अस्सी हज़ार से कुल पचासी करोड़ ही भुगतान करेगी, लेकिन इन अमूल्य वनों से हमारे घर गांव सदियों से आत्मनिर्भर है।

दादा गुरु ने कहा कि वन संपदा अमूल्य है वनों से हमारा जीवन है हमारा अस्तित्व है , इनके बिना ना कोई जीवन है ना कोई अस्तित्व हैं । उन्होंने कहा कि प्राण प्रण से जंगल बचाएँ जीवन बचाए सच्चा धर्म निभाए । बुन्देलखण्ड की बलिदानी पावन धरा और अमूल्य प्राकृतिक वन संपदाओं धरोहरों के संरक्षण सम्वर्धन के  लिए प्राण प्रण से हम संकल्पित हैं और सभी को संकल्पित होने का आव्हान किया ।


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हीरे निकालने के लिए यहां के 382 हेक्टेयर क्षेत्र का जंगल साफ कर 2.15 लाख से अधिक पेड़ काटने का प्रस्ताव है

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         बकस्वाहा तहसील अंतर्गत 382 हेक्टेयर में पाए गए 3 करोड़ 42 लाख कैरेट हीरो के उत्खनन के लिए दो लाख से ज्यादा पेड़ काटे जाने की तैयारी की जा रही है , इसका विरोध करते हुए जंगलों को बचाने की मुहिम रफ्तार पकड़ती जा रही है बकस्वाहा के जंगलों को बचाने सामाजिक संगठनों के साथ ही साधु संतों का भी मुहिम में सहयोग मिल रहा है , बकस्वाहा क्षेत्र के लोगों ने जागरूकता दिखाते हुए जंगल को बचाने के लिए मुहिम शुरू कर दी है और बकस्वाहा के जंगलों को बचाने सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों द्वारा मुहिम चलाई जा रही है , लोगों का कहना है कि हीरा को निकालने के लिए वृक्षों व प्राणियों के जीवन को खतरे में नहीं जाने देंगे । इसी सिलसिले मे गत दिवस शनिवार के दोपहर नर्मदा जल पर नर्मदा गौ संरक्षण संवर्धन के लिए सत्याग्रह कर रहे मां नर्मदा पथ के महायोगी संत समर्थ सद्गुरु भैयाजी सरकार दादा गुरु बकस्वाहा के जंगल में पहुंचकर लोगों का मार्गदर्शन किया ।


सादर प्रकाशनार्थ


🙏रत्नेश रागी भैया बकस्वाहा


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