प्राकृतिक चिकित्सा के दम पर दी कोरोना को मात न ऑक्सीजन न कोई दबा अमित भटनागर ने मिट्टी, पानी के दम पर जीती कोरोना से जंग बीमारी का कारण वायरस नहीं बल्कि गंदगी है : डॉ. दिनेश मिश्रा
छतरपुर// जन लोकपाल कानून हेतु अन्ना आंदोलन हो या बक्स्वाहा के जंगल बचाने की मुहिम, अबैध उत्खनन उत्खनन और सरकार के बिजली घोटाले की बात हो बुंदेलखंड में इन आंदोलनों के अगुआ रहे युवा आंदोलनकारी अमित भटनागर ने बिना ऑक्सीजन और किसी भी तरह की दबाई के स्तेमाल किये मिट्टी पानी चिकित्सा जिसे प्रकृतिक कहते है, के दम पर कोरोना को मात दी। यह देश का पहला ऐसा मामला है जिसमे कोरोना ग्रसित गंभीर रूप से बीमार मरीज ने बिना बिना ऑक्सीजन और किसी भी तरह की दबाई के स्तेमाल किये, मिट्टी-पानी से अपने आप को स्वास्थ्य कर लिया। अमित अब पूर्ण रूप से स्वास्थ्य है, छतरपुर के नीलांचल प्राकृतिक चिकित्सालय में डॉ दिनेश मिश्रा के मार्गदर्शन में अमित भटनागर कोरोना से जंग जीत सके। अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक जब कोरोना अपने पीक पर था, तभी किसान आंदोलन का नेतृव कर रहे अमित भटनागर का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा, अमित ने कोरोना टेस्ट कराया, टेस्ट में अमित कोरोना पॉजिटिव पाए गए व रिपोर्ट आने तक, अमित की स्थिति अत्यंत गंभीर हो गई थी, अमित भटनागर गांधी विचार के अनुरूप जीवन जीने वाले व्यक्ति है और प्रकृतिक चिकित्सा पर उनका अटूट विश्वास है, ऐसी विपरीत परिस्थिति और भय के वातावरण में भी अमित ने प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से अपना इलाज कराने का निर्णय लिया हालाँकि उनके निर्णय से उनका परिवार जरूर चिंतित था। अमित को प्रकृतिक चिकित्सक डॉ दिनेश मिश्रा के नीलांचल प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र में भर्ती कराया गया, भर्ती के समय अमित भटनागर की स्थिति अत्यंत गंभीर थी। अमित का बी.पी. अत्यंत निम्न 38/60 पहुंच गया था। वह अर्धचेतन अवस्था मे पहुंच चुके थे, उन्हें हर 15 मिनिट में 1 कप नींबू पानी शहद दिया गया। छाती व गले की पानी से भीगी, पट्टी लपेट और एनीमा दिया गया। अमित भटनागर इतने गम्भीर बीमार हो गए थे, कि वे लगभग एक सप्ताह किसी को सही से नहीं पहचान पा रहे थे। सप्ताह के बाद उनके स्वास्थ्य में धीरे धीरे सुधार होने लगा, कुंजल, नेती, गर्म पानी सिकाई, मिट्टी पट्टी, एनीमा, मिट्टी, कटी और रीढ़ स्नान, चादर लपेट आदि प्रकृतिक चिकित्सा की प्रक्रिया द्वारा दिनेश मिश्रा द्वारा किये गए ईलाज से लगभग 1 माह बाद अमित भटनागर पूर्ण रूप से स्वास्थ्य है, तथा सामाजिक गतिविधियों में सक्रीय है।
बीमारी का कारण गंदगी लगभग 40 वर्षों से प्रकृतिक चिकित्सा के माध्यम से लोगों का ईलाज करने बाले डॉक्टर दिनेश मिश्रा का कहना है कि बीमारी का कारण जीवाणु या कीटाणु नहीं बल्कि गंदगी है जीवाणुऔर कीटाणु तो उस गंदगी को खत्म करने हेतु प्रकृतिक व्यवस्था है, अतः हमें जीवाणु और कीटाणु को मारने की जगह गंदगी को साफ करना चाहिए, जिससे जीवाणुओं और कीटाणु जन्म ही न ले सके। डॉ. मिश्रा का कहना है कि कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा में कोरोना जैसी महामारी यह किसी भी गंभीर और सामान्य बीमारी को जड़ से खत्म करने की क्षमता है। दिनेश मिश्रा ने अफसोस जताया कि हमारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली, मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे प्रभावशाली चिकित्सा पद्धति प्राकृतिक चिकित्सा अपनी पहचान को मोहताज है।
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