कल्याण मंदिर स्तोत्र शिविर के समापन के पश्चात् परम पूज्य गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महाराज के सान्नित्य में शिविरार्थियों की परीक्षा हुई । जिसमें 5 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक
के शिविरार्थियों ने बहुत ही उत्साह के साथ भाग लिया । इस अवसर पर पूज्य गुरुदेव ने अपनी मंगल देशना में कहा - जिस प्रकार विद्यालयों में विद्यार्थी सालभर पढ़ता है और परीक्षा में न बैठे तो उसकी सालभर का अध्ययन पढ़ाई व्यर्थ हो जाती है उसे पुनः उसी क्लास में बैठना होता है उसी प्रकार धर्म के क्षेत्र में भी जितना जितना अध्ययन करते जायें उसका Exam जरूर देना चाहिये, Exam देने से व्यक्ति के ज्ञान अध्ययन का परिचय प्राप्त हो जाता है कि उसने अपने विषय को कितना अच्छे तरीके
से समझा है। जो लोग अपने विषय का अध्ययन एकाग्रता से मन लगाकर
करते हैं वे अधिक से अधिक अंक प्राप्त करके, क्लास में डिवीजन और 15t पोजीसन बनाकर केवल अपना ही नहीं अपितु अपने विद्यालय, माता-पिता, धर्म व शुरूओं का भी नाम रोशन करते हैं। यह संसार भी एक परीक्षा भवन की तरह है जहाँ हर प्राणी एक विद्यार्थी की तरह अपने अपने पुरुष पाप कर्मों की परीक्षा देने के लिये तत्पर रहता है किन्तु उसमें भी जो ज्ञानी विवेकी धर्मात्मा योगीजन होती होते हैं वे समता भाव से परीक्षा देकर उसमें सफल हो जाते हैं और कर्मों से मुक्त हो सिद्ध अवस्था को प्राप्त कर लेते हैं और अज्ञानी प्राणी जो धर्म से विमुख होते हैं वे संक्लेश परिणाम करके दुर्गति के पात्र बन जाते हैं । अतः हम अपने जीवन में कर्मों की परीक्षा होने पर साम्यभाव को अपनाकर अंतिम परीक्षाफल 'सम्यक समाधि पूर्वक मरण करके मोक्षपद को प्राप्त करें क्योंकि आपके पास समय है केवल तीन घंटे का जन्म जरा मृत्यु |
अंत में पूज्य गुरुदेव ने सभी शिविरार्थियों को परीक्षा में सफलता प्राप्त करने हेतु आशीष प्रदान किया। तथा जैनियों के महान पर्वराज पर्युषण की पूर्व भूमिका बनाते हुये इ. गुरुवर ने सभी शिविरार्थियों का ध्यान, * श्रावक साधना शिविर की ओर आकर्षित किया जिसमें प्रतिदिन पूज्य गुरुदेव व संघस्थ साधुओं द्वारा शिविर में भाग लेने वाले श्रावकों को
प्रातःकाल 5:00 बजे से सांयकाल 8:30 बजे तक ध्यान, पूजन, प्रवचन, सामायिक, तत्वार्थ सूत्र (वाचन व क्लास), प्रतिक्रमण, पू. गुरुवार की "आरती, सामायिक आदि क्रियायें उचित समय पर " कराई जायेंगी। अतः आप अधिक से अधिक संख्या में उपस्थिति होकर ' श्रावक साधना शिविर के माध्यम से पुण्यलाभ प्राप्त करें ।
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