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पाकिस्तान की जीत पर भारत में जश्न मनाना देशप्रेम नहीं कृष्णमोहन झा/

 T 20 वर्ल्ड कप क्रिकेट में भारत को पाकिस्तान के हाथों जो हार झेलनी पड़ी उससे सारा देश स्तब्ध है। हार का सदमा इसलिए भी अधिक है क्योंकि इसके पहले पाकिस्तान के साथ  T 20 फार्मेट जितने भी मैच खेले उन सभी में भारत ने पाकिस्तान को हार का सामना करने के लिए मजबूर किया था। चूंकि पाकिस्तान को 13 वें ‌‌‌‌‌मैच में ‌‌बिना कोई विकेट गंवाए 10 विकेट से जीत ‌‌का स्वाद चखने को मिला इसलिए इस जीत पर उसकी बेतहाशा खुशी भी  स्वाभाविक है और खिलाड़ी भावना का परिचय देते हुए भारतीय कप्तान विराट कोहली ने  पाकिस्तानी टीम की विजय पर उसके कप्तान को बधाई देने की सौजन्यता भी प्रदर्शित की थी। परंतु यदि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अपने देश की इस जीत को इस्लाम की जीत निरूपित करने लगें तो निश्चित रूप से यह घोर आश्चर्य जनक है ।इस स्पर्धा का इस्लाम अथवा किसी भी अन्य धर्म से कोई संबंध नहीं है इसके बावजूद अगर पाकिस्तान के गृहमंत्री  T 20  वर्ल्ड कप क्रिकेट में भारत के विरुद्ध उनके देश की जीत को इस्लाम की जीत बताते हैं तो वह निश्चित रूप से पाकिस्तान की एक सोची-समझी शरारत  ही है  लेकिन भारत के प्रति पाकिस्तानी ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌हुकमरानों‌ का हमेशा से ही जो रवैया रहा है उसे देखते हुए पाकिस्तानी गृहमंत्री से इससे बेहतर शब्दों की उम्मीद आखिर उनसे  कैसे की जा सकती है परंतु पाकिस्तान के गृहमंत्री से यह पूछा जा सकता है कि किसी भी अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में जब उनके देश की हार होती है तो क्या वे हर पराजय को इसी तरह धर्म के नजरिए से ही देखते हैं। यह सही है कि भारत और पाकिस्तान हमेशा से ही पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी रहे हैं   परंतु इसका मतलब यह तो नहीं कि खेल के मैदान में होने वाली हार-जीत को मज़हब की तराजू से ही तौला जाए । पाकिस्तान के गृहमंत्री को यह स्मरण तो होना ही चाहिए कि जब उनका देश किसी भी खेल स्पर्धा में हारता है तो कोई भी देश पाकिस्तान की हार का कभी इस्लाम की हार‌ के रूप में आकलन नहीं करता लेकिन पाकिस्तान से तो यह अपेक्षा ही व्यर्थ है कि वह खेलों में होने वाली हार-जीत को मज़हब के नज़रिए से न देखते हुए खिलाड़ी भावना को सर्वोपरि मानने में रुचि प्रदर्शित करेंगे। पाकिस्तान के गृहमंत्री को यह भी याद रखना चाहिए कि भारत के विरुद्ध उनके देश के शत्रुतापूर्ण रुख के कारण ही अनेक वर्षों तक दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैचों का सिलसिला थमा यह लेकिन अफसोस इस बात का है कि पाकिस्तान के हुक्मरान अभी भी भारत-विरोधी ‌‌‌‌‌‌‌‌‌मानसिकता छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं जबकि भारत ने हमेशा ही पड़ोसी देश के साथ संबंध सामान्य बनाने की पहल की है।

      सबसे शर्मनाक बात यह है कि भारत के साथ T 20 वर्ल्ड कप के मैच में पाकिस्तान की जीत पर हमारे देश  के कुछ हिस्सों में भी जश्न मनाने की घटनाएं हुईं। जम्मू-कश्मीर, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में पटाखे फोड़ कर पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाया गया । इतना ही नहीं पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने वाले  पाकिस्तान -परस्त तत्वों ने पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे भी लगाए। उनका यह कृत्य निःसंदेह देशद्रोह के जघन्य अपराध से कम नहीं है जिसके लिए उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। जम्मू-कश्मीर कश्मीर सहित देश के अन्य भागों में जिन लोगों ने पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने की शर्मनाक हरकत की उनमें कालेज के छात्र भी बड़ी संख्या में शामिल थे। जिन छात्रों को सरकार उच्च कोटि की  शिक्षा प्रदान कर उन्हें भविष्य का जिम्मेदार नागरिक बनाना चाहती है वे अगर अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी भूलकर इस तरह शत्रु देश की जय-जयकार करने लगें तो निश्चित रूप से उन्हें इस देश में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। अपने इस शर्मनाक कृत्य के द्वारा वे उस  देश की एकता अखंडता को चुनौती देने का दुस्साहस कर रहे हैं जो देश उन्हें उच्च कोटि की शिक्षा अर्जित करने के लिए सारी सुविधाएं प्रदान कर रहा है।जिन राज्यों में इस तरह की घटनाएं हुईं हैं उन राज्यों की सरकारों ने इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए ऐसे पाक परस्त तत्वों के  विरूद्ध अगर देशद्रोह का मामला दर्ज किया है तो इसके लिए उनकी भूरि भूरि प्रशंसा की जानी चाहिए। हमेशा ही पाकिस्तान का राग अलापने वाली जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की मुखिया मेहबूबा मुफ्ती अगर देश के अंदर पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने वाले छात्रों के इस ‌‌कृत्य को  कोई अपराध नहीं मानतीं तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। मेहबूबा मुफ्ती हमेशा से ही जम्मू-कश्मीर के उन पाकिस्तान परस्त नेताओं में शामिल रही हैं जो  अपने राजनीतिक ‌स्वार्थ के लिए जम्मू कश्मीर के युवाओं को ग़लत राह दिखाने वाले में कोई शर्म महसूस नहीं करते। दरअसल जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती से अपेक्षा तो यह थी कि वे पाकिस्तान की जीत की खुशी में पटाखे फोड़ कर अपनी ‌खुशी का खुले आम इजहार करने वाले छात्र छात्राओं के इस कृत्य की सार्वजनिक रूप से भर्त्सना करतीं परंतु उन्होंने तो इस शर्मनाक हरकत की आलोचना करने ‌वालों   को गलत ठहरा दिया। इस तरह मेहबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उन्हें अपने पाकिस्तान परस्ती पर कोई अफसोस नहीं है और राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने की उनकी कोई मंशा नहीं है। पूर्व  क्रिकेटर और सांसद गौतम गंभीर  का यह कहना बिलकुल सही है कि पाकिस्तान की जीत पर भारत में पटाखे फोड़ कर अपनी ‌खुशी का इजहार करने वाले लोग भारतीय नहीं हो सकते।हम अपनी टीम के साथ हैं। दरअसल मेहबूबा मुफ्ती तभी से बौखलाई हुई हैं जब भाजपा द्वारा उनकी सरकार से नाता तोड लेने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री  पद से हाथ धोना पड़ा था। केंद्र सरकार ने दो वर्ष पूर्व जब जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को‌ निष्प्रभावी करने का फैसला किया था तभी से राज्य के अलगाववादी और पाकिस्तान परस्त नेता बौखला उठे हैं परंतु ऐसे नेताओं को इस कड़वी हकीकत का अहसास अवश्य कर लेना चाहिेए कि  मोदी सरकार द्वारा दो वर्ष पूर्व किए गए उस  कठोर फैसले के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार जम्मू-कश्मीर की अलगाववादी पाक परस्त ताकतें ही हैं । दरअसल उनके अलगाववादी और पाकिस्तान परस्त एजेंडे के कारण ही मोदी सरकार को उक्त कठोर फैसला करने के लिए विवश होना पड़ा।


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