भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर विशेष : "अटल कीर्ति, विशाल व्यक्तित्व के धनी थे वाजपेयीजी" @ डॉ. राकेश मिश्र
अटल बिहारी वाजपेयी, एक ऐसा नाम, जिनकी कीर्ति भारतीय राजनीति के लिए एक आदर्श है, सरकारों के लिए सुशासन का संदेश है, जनकल्याण का कर्तव्यबोध है तो उनका व्यक्तित्व विराट है। अटलजी का मतलब ही है एक ऐसे महामानव, जिन्होंने बच्चे, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों सभी के बीच लोकप्रियता की पराकाष्ठा हासिल की। आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लेकर इसका निर्वहन करनेवाले अटलजी राजनीति के संत रहे, तो भारत की राजनीति में मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने वाले राजनेता और प्रधानमंत्री के रूप में सदैव याद रहेंगे। उनके कार्यों और विचारों के कारण उन्हें भारत के विकास का दूरदृष्टा कहा जाता है। अपने दल में सर्वमान्य, सबके चहेते और विरोधियों का भी दिल जीतने वाले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी अटलजी का सार्वजनिक जीवन बेदाग और साफ सुथरा रहा था। तभी तो अटल बिहारी वाजपेयी का नाम कान में पड़ते ही हर भारतीय के हृदय में सुखद और स्मरणीय स्पंदन उत्पन्न होता है। भारतीय राजनीति के मार्गदर्शक भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जमीन से जुड़े रहकर राजनीति करने वाले और जनता के प्रधानमंत्री के रूप में लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। साथ ही राजनीति में अजात शत्रु की तस्वीर उभरती है।
25 दिसंबर 1924 का दिन भारत के लिए अनुपम दिवस रहा। इस जिस दिन भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर के बटेश्वर गांव में अटलजी जैसे विराट व्यक्तित्व का अवतरण हुआ था। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी स्वतंत्रता के बाद एक ऐसे राजनेता के रूप में प्रतिष्ठित हुए, जिन्होंने लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता और राष्ट्र के समर्पण को महत्व देते रहे। वर्तमान में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, अटल जी के सपने को साकार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के एक शिखर पुरुष के रूप में सर्वदा स्मरणीय रहेंगे। श्रद्धेय वाजपेयी जी जनसंघ के संस्थापकों में शामिल थे और भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष के रूप में करोड़ों भाजपा कार्यकर्ता के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। विविधता में एकता का देश कहलाने वाले भारत में अटल जी ने अपने राजनीतिक जीवन में एकता के सूत्रधार बनकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और नई दिल्ली से सांसद बनकर यह बताया कि उनके व्यक्तित्व में राजनीति का अखिल भारतीय स्वरूप है।
निस्वार्थ समर्पण के साथ छह दशक तक देश और समाज की सेवा करने के लिए उन्हें 2015 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया गया। इससे पहले पद्म विभूषण भी दिया गया। संसदीय राजनीति में भी उनका स्थान सर्वोच्च रहा। यही कारण रहा कि 1994 में उन्हें भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। अपने नाम के ही समान, अटलजी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति हैं। अटलजी जनता की बातों को ध्यान में रखते थे और उनकी आकाँक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करते रहे।
1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को न सिर्फ आत्मसात् किया, बल्कि जनसंघ के चिंतन को भारतीय राजनीति में स्थापित किया। 1957 के लोकसभा चुनावों में पहली बार उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में उतरे और विजयी होकर लोकसभा आए । अटल जी 1957 से 1977 तक लगातार जनसंघ संसदीय दल के नेता रहे। अटलजी ने अपने ओजस्वी भाषणों से संसद में सभी को प्रभावित किया। राजनीतिक समर्थक हो या विरोधी, सभी उनके वक्तृत्व और व्यक्तित्व के कायल थे। 1975 में आपातकाल लगाने का अटल बिहारी वाजपेयी ने खुलकर विरोध किया था।
बतौर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उन कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा जो राष्ट्रनिर्माण में लंबे समय तक भारतीय राजनीति में नज़र आता रहेगा :
1. प्रधानमंत्री के तौर पर वाजपेयी के जिस काम को सबसे ज़्यादा अहम माना जा सकता है वह सड़कों के माध्यम से भारत को जोड़ने की योजना है। उन्होंने चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना लागू की। साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना लागू की। उनके इस फ़ैसले ने देश के आर्थिक विकास को रफ़्तार दी। उनकी सरकार के दौरान ही भारतीय स्तर पर नदियों को जोड़ने की योजना का ख़ाका भी बना।
2. भारत में संचार क्रांति का जनक जिसे भी कहा जाता हो, लेकिन उसे आम लोगों तक पहुंचाने का काम वाजपेयी सरकार ने ही किया था। 1999 में वाजपेयी ने भारत संचार निगम लिमिटेड के एकाधिकार को ख़त्म करते हुए नई टेलिकॉम नीति लागू की।
3. सर्व शिक्षा अभियान के तहत छह से 14 साल के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा देने का अभियान वाजपेयी के कार्यकाल में ही शुरू किया गया था। 2000-01 में उन्होंने ये स्कीम लागू की।जिसके चलते बीच में पढ़ाई छोड़ देने वाले बच्चों की संख्या में कमी दर्ज की गई। 2000 में जहां 40 फ़ीसदी बच्चे ड्रॉप आउट्स होते थे, उनकी संख्या 2005 आते आते 10 फ़ीसदी के आसपास आ गई थी। इस मिशन से वाजपेयी के लगाव का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इसे प्रमोट करने वाली थीम लाइन 'स्कूल चलें हम' ख़ुद लिखा था।
अटलजी जितना ही सहज और सरल थे उतना ही साहस से परिपूर्ण थे। हर चुनौतियों से निबटने का माद्दा रखते थे। इसी का परिणाम था कि मई 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया था। ये 1974 के बाद भारत का यह पहला परमाणु परीक्षण था। वाजपेयी ने परीक्षण यह दिखाने के लिए किय़ा था कि भारत परमाणु संपन्न देश है। इस परीक्षण के बाद अमरीका, ब्रिटेन, कनाडा और कई पश्चिमी देशों ने भारत पर आर्थिक पांबदी लगा दी थी, लेकिन वाजपेयीजी की कूटनीतिक कौशल का कमाल था कि 2001 के आते हीं अधिकांश देशों ने सारी पाबंदियां हटा ली। आज ऐसे महामानव को उनकी जयंती पर नमन करते हुए उनकी कविता की चंद पंक्तियां –
मैं अखिल विश्व का गुरू महान, देता विद्या का अमर दान।
मैंने दिखलाया मुक्ति मार्ग, मैंने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान।
मेरे वेदों का ज्ञान अमर, मेरे वेदों की ज्योति प्रखर।
मानव के मन का अंधकार, क्या कभी सामने सका ठहर?
मेरा स्वर नभ में घहर-घहर, सागर के जल में छहर-छहर ।
इस कोने से उस कोने तक, कर सकता जगती सौरभ भय।
ऐसे महामानव को विनम्र श्रद्धांजलि!
@ डॉ. राकेश मिश्र
कार्यकारी सचिव, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी
(पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद महाकौशल)
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