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मुनिद्वय ने दिगम्बरत्व को प्रतिष्ठापित किया मुनि अर्पित सागर जी एवं अपूर्व सागर जी महाराज का राष्ट्रीय रजत दीक्षा दिवस पर राष्ट्रीय वेवीनार

 विद्वान, समाजसेवी, पत्रकार, श्रेष्ठिजनों ने किया वर्चुअल गुणानुवाद


संयम से ही मनुष्य जीवन की शोभा है : मुनि श्री अपूर्वसागर

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छतरपुर/  प्रभावना जन कल्याण परिषद (रजि.) के तत्वावधान में वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री अपूर्व सागर जी, मुनि श्री अर्पित सागर जी महाराज का रजत दीक्षा महामहोत्सव पर मुनिद्वय के व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार  आयोजित किया गया, जिसमें वक्ताओं ने मुनिद्वय का गुणानुवाद कर विनयांजलि समर्पित की।

वेबीनार में मुनि श्री प्रज्ञाश्रमण अमितसागर जी महाराज, मुनि श्री अर्पित सागर जी महाराज, मुनि श्री अपूर्व सागर जी महाराज का मंगल सानिध्य प्राप्त हुआ।    

      कार्यक्रम के प्रारंभ में मंगलाचरण संगीतकार दिनेश जैन धगड़ा कोलकाता ने तथा दीप प्रज्वलन ब्रह्मचारिणी बहिन मधु दीदी ने किया।

 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ मणीन्द्र जैन दिल्ली राष्ट्रीय अध्यक्ष दिगंबर जैन महासमिति ने मुनिद्वय को श्रमण संस्कृति का दैदीप्यमान नक्षत्र बताया।

 अध्यक्षता करते हुए डॉ. श्रेयांश  कुमार जैन बड़ौत

अध्यक्ष अखिल भारतवर्षीय शास्त्री परिषद ने कहा कि युगल मुनि सरल, शांत स्वभावी श्रमण लक्षण से युक्त हैं। आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी ने दिगम्बरत्व को प्रतिष्ठापित किया है।

परिषद के निर्देशक ब्रह्मचारी जयकुमार जी निशांत भैया ने कहा कि मुनि द्वय ने अपनी तप, साधना और प्रभावना से श्रमण संस्कृति को गौरवान्वित किया है। प्रबुद्ध चिंतक डॉ चिरंजीलाल बगड़ा कोलकाता ने कहा कि चर्या के प्रति जागरूक रहने वाले संत हैं, उनकी युगल जोड़ी बेमिसाल है।

डॉ नेमिनाथ शास्त्री कुम्बोज बाहुबली ने मुनिद्व्य से जुड़े संस्मरण साझा किए।

राजेन्द्र महावीर सनावद ने मुनिद्वय की जन्मभूमि सनावद से लेकर संयम मार्ग तक के संस्मरणों पर प्रकाश डाला।

 कार्यक्रम का निर्देशन ब्र. नमन भैया संघस्थ का रहा। सफल संचालन डॉ. सुनील संचय ललितपुर ने तथा संयोजन पंडित प्रदुमन शास्त्री जयपुर महामंत्री , मनीष विद्यार्थी शाहगढ़  कोषाध्यक्ष एवं आभार परिषद के अध्यक्ष सुनील शास्त्री टीकमगढ़  माना।

इस मौके पर आर्यिका गौरवमती माता जी, प्रतिष्ठाचार्य कुमुद सोनी अजमेर, राजेश पंचोलिया इंदौर, उदयभान जैन जयपुर, श्रीमती स्वाति जैन हैदराबाद, पंकज जैन छतरपुर, अनिल जैन सागर,वरिष्ठ पत्रकार राजेश रागी,बकस्वाहा, श्रीमती सुषमा जैन भिलाई  श्रीमती मीना जैन टीकमगढ़ आदि ने द्वय मुनिश्री के जीवन पर संस्मरण सुनाकर मुनि श्री को अपनी विनंयाजलि समर्पित की।

 मुनि श्री अमित सागर जी महाराज ने अपने वक्तव्य मे अर्पित सागर ,अपूर्व सागर जी के लौकिक जीवन की मित्रता से लेकर संयम धारण करने तक के संस्मरण सुनाकर मुनि श्री द्वय के साथ रहकर उनकी प्रभावशाली जीवन शैली का चित्रण सुनाया। अंत में मुनि श्री अर्पित सागर ,अपूर्व सागर ने अपने उद्बोधन में सभी आयोजन कर्ता वक्ताओं एवं वेबीनार में जुड़े हुए श्रद्धालुओं को अपना मंगल आशीष दिया एवं अपनी जीवन के अनुभव सुनाएं। उन्होंने कहा कि आज हम जो कुछ भी हैं वह गुरुवर आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी की देन है। गुरु ने जो संदेश दिया था कि प्रभावना न कर सको तो कोई बात नहीं लेकिन अप्रभावना न करना। गुरु ने पत्थर को मूर्ति का रूप दिया और पूज्य बना दिया। गुरु के अनन्त उपकार हैं  । संयम दीक्षा दिवस पर आप सब भी कुछ न कुछ संयम धारण करें।  संयम से ही मनुष्य जीवन की शोभा है। बेविनार में मुनिद्वय की जन्मभूमि सनावद एवं  नांदणी मठ जहाँ वर्तमान में मुनिद्वय विराजमान हैं से भी अनेक श्रद्धालु कार्यक्रम में उपस्थित रहे।


🙏 सादर प्रकाशनार्थ

रत्नेश रागी बकस्वाहा


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