पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास संस्कार संवर्द्धन में अग्रणी: डॉ. राकेश मिश्र *
यज्ञोपवीत सोडष संस्कारों में विशेष महत्वपूर्ण : श्री 1008 स्वामी शंकर्षणाचार्य जी महाराज *
*भीमकुंड संस्कृत पाठशाला में सोलह बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न *
* संस्कृत भाषा के उत्थान के लिए हर संभव मदद करेंगे: ओमप्रकाश सकलेचा *
भीमकुंड/छतरपुर/सतना ।पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास धर्म व सांस्कृतिक पुनरुद्धार के लिए कार्य करता है ।हमारा उद्देश्य नर सेवा नारायण सेवा है जो की भूलें हुए संस्कारों को पुनः स्थापित करने के लिए कार्य कर रहा है। इसी कड़ी में फाल्गुन कृष्ण अष्टमी के शुभ अवसर पर श्री श्री 1008 स्वामी संकर्षणाचार्य जी महाराज के आशीर्वाद से 16 बटुकों का यज्ञोपवीत संस्कार किया गया ।
पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास के अध्यक्ष डॉ राकेश मिश्र ने बताया कि यह बटुक भीम कुंड स्थित नारायण संस्कृत पाठशाला के विद्यार्थी हैं। यह पाठशाला संस्कृत भाषा के उत्थान में लगी हुई है ।आज हुए संस्कार समारोह में यज्ञ के उपरांत सभी को जनेऊ धारण एवं भिक्षाटन किया गया और उन्हें ज्ञान चक्षुओं से दीक्षित किया गया।
यज्ञोपवीत संस्कार शिक्षा ग्रहण का महत्व एवं आवश्यकता
सनातन धर्म में हम जानते हैं कि जीवन में सोलह संस्कार होते हैं।
16 संस्कार(2)सनातन हिन्दू धर्म एक शाश्वत और प्राचीन धर्म है। यह एक वैज्ञानिक और विज्ञान आधारित धर्म होने के कारण निरंतर विकास कर रहा है। माना जाता है कि इसकी स्थापना ऋषियों और मुनियों ने की है। इसका मूल पूर्णत: वैज्ञानिक होने के कारण सदियां बीत जाने के बाद भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है। प्रारम्भिक काल में हिन्दू समाज में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के अनुसार शिक्षा दी जाती थी, जो वैज्ञानिक होने के कारण विकासोन्मुख थी। सोलह संस्कारों को हिन्दू धर्म की जड़ कहें तो गलत नहीं होगा।इन्हीं सोलह संस्कारों में इस धर्म की संस्कृति और परम्पराएं निहित हैं जो निम्र हैं-
(1). गर्भाधान संस्कार, (2). पुंसवन संस्कार.
(3). सीमन्तोन्नयन संस्कार, (4) जातकर्म संस्कार, (5) नामकरण संस्कार, (6) निष्क्रमण संस्कार, (7) अन्नप्राशन संस्कार, (8) चूड़ाकर्म संस्कार, (9) विद्यारम्भ संस्कार, (10) कर्णवेध संस्कार, (11) यज्ञोपवीत संस्कार, (12) वेदारम्भ संस्कार, (13) केशान्त संस्कार, (14) समावर्तन संस्कार, (15) विवाह संस्कार, (16) अंत्येष्टि संस्कार।
यज्ञोपवीतं परमं पवित्रम्
स्वामी जी महाराज ने यज्ञोपवीत का वर्णन करते हुये कहा कि यज्ञोपवीत जीवन में सबसे बड़ा संस्कार होता है। यज्ञोपवीत संस्कार का महत्त्व प्राचीनकाल से चला आ रहा है।
*इनकी रही उपस्थिति *
इस अवसर पर मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री श्री ओमप्रकाश सकलेचा जी प्रभारी मंत्री छतरपुर ज़िला, श्री प्रद्युम्न सिंह लोधी क्षेत्रीय विधायक ने भीमकुंड का भ्रमण कर नारायण संस्कृत पाठशाला के शिक्षकों व विद्यार्थियों से मुलाक़ात की ।इस अवसर पर पं. नारायणाचार्य जी, घनश्याम जी शास्त्री, नीरज आचार्य,सुरेंद्र शास्त्रीजी, राघव दास जी, कमल नयन अवस्थी, धन प्रसाद असाटी जी सहित प्रतापगढ़, कौशांबी, फ़तेहपुर, भदोही, सतना, रीवा, ललितपुर, प्रयागराज, दमोह, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़, जौनपुर, बाँदा, महोबा, चित्रकूट ज़िलों के 16 विद्यार्थियों का यज्ञोपवीत संस्कार किया गया।विद्यार्थियों के परिवार जन बड़ी संख्या में सम्मिलित हुये।
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