मा.कैलाश सत्यार्थी (नोबल पुरस्कार सम्मानित ) जी से घुवारा परिवार को स्नेह भरा आशीर्वाद मिला
विगत दिनों दीक्षांत समारोह हेतु बुन्देलखण्ड दौरे पर आये डा.कैलाश सत्यार्थी जी जहाँ पवनघुवारा ने परिवार सहित मुलाकात कर स्नेह प्राप्त किया डा.कैलाश सत्यार्थी जी अक्सर 3-डी जिक्र किया करते है उन्होंने कहा चौकिए मत।यह 3-डी चित्र नही ,मंत्र है जो मैंने अपने जीवन के अनुभवों से सीखा है इस मंत्र का पहला डी है 'ड्रीम' यानी सपने देखिए आप सौभाग्य शाली है जिन्हें सपने देखने की आजादी है।यह एक ईश्वरीय वरदान है, इसका पूरा इस्तेमाल कीजिए ।आप छोटे- छोटे सपने क्यों देखते है?बडे से बडा सपना देखिए ।इन सपनों को पूरा करने के लिए दुसरा डी भी बहुत जरूरी होता है यह 'डी'है 'डिस्कवर' यानी खुद के भीतर छुपी अनंत संभावनाओ और ,
शक्तियों को खोजना और उनका उपयोग करना ।आखिरी डी है -'डू' यानी करो हम क्या बन सकते है वह तो हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन क्या कर सकते हैं वह पूरी तरह हमारे वश में हैं क्योंकि कुछ बन जाना एक परिणाम है और करते रहना कर्म है
समस्याएं कितनी भी मुश्किल और बडी क्यों न हो भारत समाधानों की जन्मभूमि है और आप उन्हीं में से एक समाधान है मा.कैलाश सत्यार्थी जी ने र्चचा के दौरान कहा पवनघुवारा भूमिपुत्र क्यों लिखते है दो मिनट पवनघुवारा ने अपनी बात को रखते हुए बुन्देलखण्ड विकास हेतु आई धनराशि बुन्देलखण्ड विषेश पैकेज का जिस तरह से दुरउपयोग हुआ है उक्त संघर्ष को जिस बिविध परिस्थितियों तक मेरे द्धारा किया है तदैव सामाजिक स्तर पर मुझे "भूमिपुत्र" कि संज्ञा कि उपाधि दी गई, मा.कैलाश सत्यार्थी (नोबल पुरस्कार से सम्मानित ) जी से श्रीमती प्रियंकापवनघुवारा एवं श्रीमती रोहिणीअभिप्रिंस सहित घुवारा परिवार को स्नेह भरा हुआ आशीर्वाद प्राप्त हुआ ।।
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