बिजावर, किशनगढ़ क्षेत्र में कई स्थानों पर मिले पाषाणकालीन शैल चित्र।
संरक्षण के आभाव में नष्ट होने की कगार पर है विश्व धरोहर : अमित भटनागर।
जन विकास संगठन कई महीनों की खोज के बाद लगभग 2 दर्जन स्थानों पर खोजे गए शैल चित्र।
हथनी तोड़ में मिले पाषाण कालीन शैल चित्र
पाषाण कालीन शैल चित्र पाया जाना गरिमा की बात, इनकी उपेक्षा शर्मनाक : अमित भटनागर
बिजाबर, छतरपुर// जन विकास संगठन के बैनर तले सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर के नेतृत्व में बहादुर आदिवासी, भगत राम तिवारी, बब्लू कुशवाहा, राहुल अहिरवार, भगवानदास राजगोंड, दिव्या शर्मा, पप्पू खैरवार आदि समाजसेवी द्वारा लगातार कई महीनों की मेहनत के बाद बक्सवाहा तहसील के बाद बिजावर तहसील के कई स्थानों पर पाषाण कालीन शैलचित्रों को खोजा गया है। सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर ने बताया कि महाराजा कॉलेज के प्रोफेसर पुरातत्वविद एस. के. छारी के 2016 के शोध पत्र में छतरपुर जिले में शैलचित्रों की बात कही गई है, जिसके बाद कई स्थानों पर शैलचित्र पाए गए। शैल चित्रों के बिजावर के आदिवासी किशनगढ़ क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने व उनके साथियों ने पूरे टीम के साथ समर्पण भाव से इसे खोजने की मुहिम चलाई। अमित का कहना है कि कई महीनों की मेहनत के बाद मुहिम रंग लाई और किशनगढ़, ककरा नरौली, पटोरी आमा पहाडी, कूपी सहित क्षेत्र में कई स्थानों पर शैलचित्र पाए गए है व कई स्थानों में और पाए जाने की संभावना है। पुरातत्व विदों के अनुसार यह शैल चित्र 25 हजार ईसा पूर्व के दुनिया के सबसे प्राचीनतम चित्रों में से हैं तथा ये अग्नि की खोज के पहले के है।
उठी विश्व स्मारक घोषित करने की मांग : सामाजिक कार्यकर्ता अमित भटनागर का कहना है कि बिजावर के जंगलों में मध्य पाषाण काल के शैल चित्रों का होना सिर्फ बुंदेलखंड ही नही पूरे भारत के लिए गरिमा की बात है कि हमारे यहां विश्व की अति प्राचीनतम धरोहर मौजूद है, साथ ही अमित भटनागर का कहना है कि हमारे लिए बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम इतनी अनमोल अपनी धरोहर की देखभाल भी नहीं कर पा रहे है। अमित भटनागर का कहना है कि अब यह सिर्फ संभावना की बात नहीं है बल्कि स्पष्ट प्रमाण मिल रहे हैं कि, यहां सिंधु घाटी से भी प्राचीन पाषाण कालीन सभ्यता रही है, जिनके प्रमाण जन विकास संगठन के द्वारा पिछले कई महीनों की खोज के द्वारा लगभग 100 किलोमीटर में खोजे गए हैं, और यह खोज लगातार जारी है, और संभावना है कि यह कई सौ किलोमीटर तक फैले हुए हैं। अमित ने बताया कि पूरे क्षेत्र में आदिम युग के हथियार और उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुएं भी होंगी। सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा इन मध्य पाषाण कालीन शैल चित्रों के संरक्षण व इन्हें विश्व स्मारक घोषित करने की मांग भी उठाई है।
जन विकास संगठन के बहादुर आदिवासी, भगतराम तिवारी ने बताया कि हथिनी तोड़ व पटोरी के पास आमा पहाड़ी वाली गुफा में बने शैल चित्रों काफी क्षतिग्रस्त अवस्था में है, इनसे शरारती तत्वों द्वारा छेड़छाड़ की गई है, एक गुफा में इन शैल चित्रों के पास पेंट से लिखावट भी की है, तो धुआं के कारण बहुत से चित्र नही दिख रहे है, किशनगढ़ निवासी पप्पू खैरवार ने बताया कि ने बताया की किशनगढ़ के नरवा में पहले बहुत सारे शैल चित्र थे जो उनके देखते देखते क्षतिग्रस्त हो गए और अब बहुत कम मात्रा में दिखाई देते हैं। जन विकास संगठन द्वारा शैल चित्रो के संरक्षण व विश्व स्मारक घोषित करने की मुहिम के तहत जल्द ही जिला कलेक्टर से मिलकर उक्त घटनाओं से अवगत कराने की बात कही गयी है।
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