ads header

Breaking News

14 सितम्‍बर हिन्दी दिवस पर विशेष: राष्ट्रीय एकता का सूत्र है हिंदी डॉ. राकेश मिश्र

किसी भी देश की पहचान उसकी भौगोलिक स्थिति के साथ ही उसकी अपनी भाषा से भी होती है। कारण, किसी देश की विशेषताओं का वर्णन उसकी भाषा में जिस रूप में मिलती है, वह दूसरी भाषा से नहीं हो सकती है। भाषा सिर्फ अभिव्यक्ति का ही माध्‍यम नहीं होती है, वह राष्ट्रीयता का भी प्रतिनिधित्व करती है। कहा गया है कि वही भाषा जीवित रहती है, जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी है। इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करना चाहिये। इस कारण हिन्दी दिवस के दिन उन सभी से निवेदन किया जाता है कि वे अपने बोलचाल की भाषा में भी हिंदी का ही उपयोग करें। हिंदी भाषा के प्रसार से पूरे देश में राष्ट्रीय एकता की भावना और मजबूत होगी।


भारत दुनिया में सबसे ज्यादा विविध संस्कृतियों वाला देश है। धर्म, परंपराओं और भाषा में इसकी विविधताओं के बावजूद यहां के लोग एकता में विश्वास रखते हैं। भाषाई विविधता के बीच एकता का सूत्र हिंदी ही है, जो भारत की सबसे प्रमुख भाषाओं में शामिल है। भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में हिंदी भाषा तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा हिंदी भाषा बोली, लिखी व पढ़ी जाती है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिंदी को हमारे देश में सर्वोच्च दर्जा प्राप्त हुआ और तब से हिंदी को हमारी राष्ट्रभाषा माना जाता है। भारतीय संविधान के आधार पर, अनुच्छेद 343 के अनुसार, हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था। हमारी भाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए ही प्रति वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत सदैव से विश्व गुरु माना गया है, बीच में कुछ कालखंड ऐसे रहे जहां भारत अपनी राजनीतिक परिस्थितियों में घिर गया था। किंतु, वह आज फिर विश्व गुरु बनने की राह पर चल पड़ा है।ठीक इसी प्रकार हिंदी की पकड़ विश्व स्तर पर हो गई है। इसके पाठकों के माध्यम से हिंदी भाषा का विस्तार हो रहा है। आज विदेशी लोग भी व्यापार करने के लिए भारत की ओर ताक रहे हैं। ऐसी स्थिति में वह हिंदी भाषा का गहन अध्ययन कर रहे हैं। आए दिन शोध में यह पाया जा रहा है कि हिंदी भाषा का निरंतर गुणात्मक रूप से विकास हो रहा है। अतः इनकी आबादी और पाठकों की संख्या अधिक होने के कारण विदेशी भी भारत की ओर अपनी संभावनाएं तलाश रहे हैं।


आज के तकनीकी युग में अंग्रेजी और चीनी भाषा के बाद हिंदी ही सबसे लोकप्रिय भाषा मानी जा रही है। हिंदी भाषा और साहित्य की वर्तमान में वैश्विक स्तर पर मांग बहुत बढ़ गई है। हिंदी भाषा और साहित्य व्यक्ति के जीवन से जुड़ा हुआ है । उसमें हर्ष, विषाद, संवेदना सभी प्रकार के भाव निहित होते हैं। हिंदी साहित्य मानवीय संवेदनाओं को प्रकट करने में सक्षम है। इस भाषा और साहित्य को पढ़कर यह महसूस करते हैं कि यह हूबहू हमारे सामने हमारी आंखों के दृश्य को प्रकट कर रहा है।कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थ के कारण हिंदी और भारतीय भाषाओं के बीच विभेद पैदा करना चाहते हैं, ताकि क्षेत्रीय भावना उभारकर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकते रहें। सच्चाई तो यह है हिंदी को भारतीय भाषाओं से मजबूती मिली है और भारतीय भाषाओं को खूबसूरती हिंदी से मिली है। हिंदी को किसी भाषा से विरोध नहीं है, बल्कि हिंदी और भारतीय भाषाएं एक दूसरे के पूरक हैं।


     प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली सरकार में बनी नई शिक्षानीति में सभी भारतीय भाषाओं को समुचित स्थान दिया गया है। अब छात्र चिकित्सा और अभियंत्रण की पढ़ाई भी हिंदी और अपनी-अपनी मातृभाषाओं में कर सकेंगे। वैसे तो हिंदी के विकास और सम्मान की बात हर कोई करते रहे, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से इसका सम्मान और स्थान जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी ने ही दिया है। आजादी के तीस साल बाद जब भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारत के विदेश मंत्री बने तब विश्वपटल पर हिंदी आई। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर हिंदी को स्थान और सम्मान दिलाया। केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के कारण हिंदी भाषा और हिंदी दिवसों को महत्व और मान्यता देने की दिशा में वृद्धि हुई है। इसका प्रमाण है कि भोपाल में विशाल विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। उस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि अंग्रेजी, हिंदी और चीनी डिजिटल दुनिया पर शासन करने जा रहे हैं, ताकि भाषा के महत्व पर जोर दिया जा सके। तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी हिंदी के वैश्विक प्रसार को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र में हिंदी के लिए आधिकारिक भाषा का दर्जा लेने का मुद्दा उठाया था। वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह भी हिंदी के हिमायती हैं और वे सभी कार्यक्रमों में हिंदी में ही अपना भाषण देकर हिंदी को सम्मान दे रहे हैं। हाल ही में संसदीय राजभाषा समिति के सदस्‍यों के साथ राष्‍ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मिलकर समिति द्वारा तैयार खण्‍ड-11 सौंपा। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशों में भी हिंदी में भाषण देकर अपनी भाषा का मान और सम्मान बढ़ाया है। मोदी सरकार, हिंदी को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव काम कर रही है। 14 सिंतबर, 2017 को राजभाषा विभाग द्वारा नई दिल्‍ली के विज्ञान भवन में भव्य हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर तत्कालीन राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने देशभर के विभिन्‍न मंत्रालयों, विभागों एवं कार्यालयों के प्रमुखों को राजभाषा कार्यान्‍वयन में उत्‍कृष्‍ट कार्य हेतु पुरस्‍कृत किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा था कि “हिन्दी अनुवाद की नहीं बल्कि संवाद की भाषा है। किसी भी भाषा की तरह हिन्दी भी मौलिक सोच की भाषा है।” इस पुरस्कार से सरकारी विभागों में हिंदी में काम करने के लिए प्रोत्साहन मिला। हम लोग हिंदी दिवस पर हिंदी को समृद्ध बनाने का संकल्प लें, इसका अधिकाधिक प्रयोग करें और लोगों को प्रेरित करें। यही सच्चे अर्थों में हिंदी दिवस की सार्थकता होगी।  

जय हिंद, जय हिंदी !


 

* डॉ. राकेश मिश्र  *

(कार्यकारी सचिव)

 पूर्व राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष, भारतीय जनता पार्टी




 

No comments