स्वावलम्बन के संदेश के साथ निकाली जा रही 17 दिवसीय किसान जागरण पद यात्रा। पैसों के लिए उजाड़े जा रहे नदी, पहाड़, जंगल, संकट में है जीवन : अमित भटनागर प्रकृति पूरक जीवनशैली चिकित्सा, खेती, कुटीर उद्योग आदि विषयों पर 17 दिन, 250 किलोमीटर, 8 तहसील, 56 गांव, हजारों किसानों से होगी चर्चा
सुशील गुप्ता
बिजावर
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बिजावर, 17 सितंबर// प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन चाहे वह चिकित्सा हो या खेती, रोजगार आदि हो, किसान अपनी खाद, बीज, कीटनियंत्रक स्वयं बनाये, स्वावलम्बी बने, सरकार और बाजार पर न्यूनतम आश्रित हो इस उद्देश्य के साथ बुन्देलखण्ड के छतरपुर व महोबा जिले में एक पद यात्रा निकाली जा रही है यात्रा के संयोजक प्रकृतिक चिकित्सक डॉ दिनेश मिश्रा ने यात्रा के बारे में बताया कि गांधी के ग्राम स्वराज्य के शंदेश को लेकर गाँधीजनों द्वारा बुन्देलखण्ड के छतरपुर व महोबा जिले में 17 दिवसीय किसान जांगरण पदयात्रा निकाली जा रही है। 2 सितंबर को छतरपुर से निकली ये पदयात्रा इन 17 दिनों में 250 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर छतरपुर जिले की छतरपुर, बिजावर, राजनगर, महाराजपुर, नौगांव और महोबा जिले की महोबा और बेलाताल तहसील के 56 गांव में हजारों किसानों से संबाद करते हुए 18 सितंबर को नौगांव में समाप्त होगी।
किसान जांगरण यात्रा के मुख्य वक्ता सामाजिक कार्यकर्ता व आप नेता अमित भटनागर का कहना है कि पिछले कुछ दशकों को देखे तो हमने विवेकपूर्ण जींवनशैली की जगह दूसरों की नकल पर आधरित दिखावटी जीवनशैली को चुन लिया है। हमने बिना सोचे समझे ये मान लिया कि बिना पैसे कुछ नही होता जबकि हम हर पल धूप, हवा, पानी जैसी बेशकीमती जीवनदायी वस्तुओं का हर समय निःशुल्क उपयोग करते है, और इसी अविवेकपूर्ण माहौल के कारण अपने चंद पैसों के लोभ - लालच में अपने जीवनदायी नदी, पहाड़ और जंगलों को नष्ट करते जा रहे है जिससे इस धरती और मानव जीवन पर संकट मंडराने लगा है, कोरोना जैसी महामारियां इसका ही परिणाम है। अमित ने कहा कि हमने देखा कि अमेरिका, फ्रांस ब्रिटेन, चीन, रूस आदि देश अपनी वैज्ञानिक उन्नत्ति और तकनीकी के दम पर ब्रह्मांड के सर्वोसर्वा बनने का दावा कर रहे थे, वही देश एक छोटे से कोरोना नामक वायरस से सबसे ज्यादा डरे और छुपते दिखे, इससे साफ होता है कि प्रकृति की ताकत के आगे पैसे, मानव और मानव निर्मित तकनीकी की ताकत नगण्य है। अमित भटनागर ने कहा कि बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि हम सब ने कोरोना के कारण बहुत सारे अपनों को खोया पर हम बहुत जल्दी उस संदेश को भूल गए और वापस उसी प्रकृति के शोषण पर आधारित भोगवादी पश्चिमी संस्कृति 5का अंधानुकरण करने लगे है। अमित ने कहा कि अगर हम इतने बड़े संदेश के बाद भी न समझे तो विनाश निश्चय है। यात्रा में शामिल डॉ मलखान सिंह पाल ने दैनिक उपयोग की वस्तुएं गांव में ही कुटीर उद्योगों के माध्यम से निर्मित करने व इनके उपयोग करने व गोबर की कम्पोस्ट खाद बनाने व रासायनिक खाद की जगह इसके उपयोग की बात कही। बलराम नामदेव ने दिखवटी जीवन की जगह सादगी भरे जीवन को अपनाने उन्होंने वर्तमान राजनीति पर चिंता जाहिर करते हुए इसे बदलने व लोक नियंत्रण की बात कही।
गांधी जयंती पर होगा कार्यशाला का आयोजन : पद यात्रा में सहभागी हिसाबी राजपूत ने बताया कि अभी हम लोगों में गांधी दर्शन के सैद्धांतिक पक्ष लोगों के बीच में स्पष्ट कर रहे हैं अगले चरण में प्रायोग करेंगे। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के उपलक्ष में एक विशेष कार्यशाला का आयोजन छतरपुर में किया जाएगा। कार्यशाला में प्राकृतिक चिकित्सा, लघु उद्योग जैविक खाद खादी निर्माण आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा व इसके व्यवहारिक रूप से गांव-2 में करने की राजनीति बनेगी।
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