अंतर्राष्ट्रीय रामलीला महोत्सव ऋषिकेश 27 सितंबर से शुरू :डॉ. राकेश मिश्र * पवित्र नदियों के तट पर रामलीला कराने का लिया है संकल्पः डॉ. वेद टंडन मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित करता है विजयादशमी: श्रद्धेय अजय भाई
नई दिल्ली। पितरों के प्रति श्रद्धा से तर्पण से अब पितृ पक्ष अपने अंतिम चरण में है और शक्ति स्वरूपा मां भगवती के नवरात्र दस्तक दे रहे हैं। इन शारदीय नवरात्रि के अवसर पर सदियों से देशभर में स्थान स्थान पर प्रभु श्री राम की लीला के आयोजन की परम्परा है। प्रथम नवरात्रि से विजयादशमी तक के 10 दिन ऐसा लोकोत्सव है जो जन-जन को अपनी जड़ों से जोड़ते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम राम की जीवन से प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित करता है। देशभर में होने वाली असंख्य रामलीलाएं हमारी अनंत श्रद्धा की प्रतीक है जो हर क्षेत्र के कलाकारों की प्रतिभा निखारती हैं। इन अनंत असंख्य रामलीलाओं का आरंभ रामनगर काशी की रामलीला से हुआ लेकिन कालांतर में कुछ स्थानों की रामलीलाओं ने अपने प्रस्तुतीकरण और भव्यता के कारण जन-जन के हृदय में विशेष स्थान बनाया।
इसी कड़ी में वर्ष 2019 में पश्चिम दिल्ली के द्वारका में हुई भव्य रामलीला के मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने वाले आयोजन समिति के संरक्षक परम राम भक्त डॉ. वेद टंडन ने पवित्र नदियों के तट पर रामलीला का संकल्प लिया। वर्ष 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना काल में जब सभी अपने अपने घरों में कैद होने को विवश थे, भगवान राम की नगरी अयोध्या में पवित्र सरयू के तट पर हुई दिव्य रामलीला का आयोजन हुआ। जिसका दूरदर्शन के चैनल द्वारा पूरे विश्व में प्रसारण किया गया। इस आयोजन के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में डॉ. वेद टंडन की भूमिका इसे सफलतम बनाने में उल्लेखनीय रही है।
वर्ष 2021 में बुंदेलखंड की अयोध्या कही जाने वाली राजा राम की नगरी ओरछा में बेतवा नदी के तट कंचना घाट पर रामलीला का आयोजन हुआ।जिसका विभिन्न चैनलों तथा संचार के अनेक माध्यमों ने वैश्विक स्तर पर प्रसारण कर करोड़ों राम भक्तों के हृदय में भारतीय संस्कृति की ज्योति जलाई। इसी कड़ी में इस बार हिमालय नगरी ऋषिकेश में मां गंगा के पवित्र तट पर परमार्थ निकेतन आश्रम में एक ऐसा प्रयोग होने जा रहा है जिसके दूरगामी प्रभाव देश की युवा पीढ़ी पर होंगे। गंगा तट पर स्थित विशाल परमार्थ निकेतन आश्रम देश की धार्मिक सांस्कृतिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र है जो पूज्य स्वामी चिदानंद के नेतृत्व में पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति की अलख जगा रहा है। स्वामी चिदानंद का दर्शन है - नवरात्रि पर केवल बेटी को जीमाओ (भोज करना) नहीं, बल्कि बेटी को जमाओ (सशक्त करो) भी। स्वामी जी उत्तराखंड के गांवों में कन्या के जन्म के समय निशुल्क चंदन, कागजी अखरोट, कागजी बादाम के पौधे भेंट कर उनसे होने वाली आय से उस कन्या को उच्च शिक्षित बनाने की अलख जगा रहे हैं। रामलीला आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रख्यात शिक्षाविद डॉ. वेद टंडन अपनी सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं। उनके नेतृत्व में कमजोर वर्ग के छात्रों के उत्थान के लिए अनेक प्रकल्पों पर कार्य हो रहा है। प्रखर राष्ट्रवादी राम भक्त डॉ. वेद टंडन मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी के आचरण को देश की युवा पीढ़ी के मन मस्तिष्क में रोपित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। डॉ. वेद टंडन ने बताया कि वर्ष 2022 के इस आयोजन में अपनी सांस्कृतिक सामाजिक गतिविधियों के द्वारा समाज के संवर्धन में निशदिन कार्यरत पूज्य स्वामी चिदानंद महाराज के सानिध्य और देश के प्रथम राष्ट्र मंदिर के संस्थापक सुप्रसिद्ध कथाकार अजय भाई जी के संरक्षण में 5 राज्यों के गुरुकुल और स्कूलों के छात्र अपने अभिनय की कला की छटा बिखेरेंगे।
पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा रामलीला महोत्सव ऋषिकेश को विश्व भर में फैले रामभक्तों तक रामलीला पंहुचाने का बीड़ा उठाया हुआ है। इसके लिये प्रतिदिन रात्रि आठ से दस बजे तक अनेक टीवी चैनलों पर प्रसारित किया जायेगा । साधना चैनल, संत वाणी एवं सर्व धर्म चैनल सहित यूट्यूब चैनल पर प्रसारित किया जायेगा जिसको अपने घर बैठे देख सकेंगे।
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आयोजन में भाग लेंगे छात्र-छात्राएँ
युवा संस्कार योजना के अंतर्गत इस आयोजन में भाग लेने वाले 70 छात्र कमल मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल मोहन गार्डन नई दिल्ली के, 20 छात्र परमार्थ गुरुकुल ऋषिकेश देवभूमि उत्तराखंड के, 20 छात्र वंदना इंटरनेशनल स्कूल सेक्टर 10 द्वारका नई दिल्ली के, 10 छात्र गुरुग्राम ग्लोबल हाइट्स सेक्टर 102 गुरुग्राम हरियाणा के, 5 छात्र स्वामीनारायण गुरुकुल जूनागढ़ गुजरात के, 5 छात्र सैंट टैरेसा स्कूल इंदिरापुरम उत्तर प्रदेश के, 5 छात्र एसडी पब्लिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल वसुंधरा गाजियाबाद उत्तर प्रदेश के होंगे। डॉ वेद प्रकाश टंडन के अनुसार प्रतिदिन गंगा आरती के बाद रात्रि 8 से 10 बजे तक गंगा तट पर है यह आयोजन होगा जिसका सीधा प्रसारण प्रसिद्ध धार्मिक चैनल साधना, सर्व धर्म चैनल सहित अनेक अन्य चैनलों द्वारा पूरे विश्व में उपलब्ध होगा। इस आयोजन की मुख्य थीम पर्यावरण चेतना और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है। इस आयोजन में किसी भी प्रकार की ऐसी सामग्री का उपयोग नहीं होगा जिससे पर्यावरण को क्षति पहुंचती हो। इस आयोजन में पधारने वाले सभी अतिथियों को पौधे उपहार रूप में दिए जाएंगे। माता सीता सहित रामायण के सभी नारी पात्रों के चरित्र चित्रण के माध्यम से नारी सशक्तिकरण को भारतीय जीवन का अनिवार्य व्यवहार बनाने के लिए कुछ मौलिक प्रयोग किए जा रहे हैं। रामलीला का आगाज गणेश वंदना से होगा जिसकी प्रस्तुति हर दिन नए ढंग से की जाएगी। विभिन्न राज्यों के बाल कलाकारों का पवित्र मां गंगा की लहरों के निकट आपसी समन्वय राष्ट्रीय एकता को प्रबल करने का एक ऐसा सूत्र होगा जिसकी गूंज लंबे समय तक रहेगी।
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राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित महत्वपूर्ण व्यक्तियों को दिया गया निमंत्रण
डॉ. वेद टंडन के अनुसार देश के महामहिम राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित अनेक केंद्रीय मंत्रियों तथा देश के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व को इस अनूठी शैली की रामलीला को अपना आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया गया है। अनेक केंद्रीय मंत्रियों सांसदों अपने कार्यक्रम में उपस्थित रहने का वचन दिया है। उत्तराखंड सरकार के महामहिम राज्यपाल, माननीय मुख्यमंत्री सहित पूरे प्रशासन का सहयोग और समर्थन इस आयोजन को प्राप्त है। राज्य के कर्मठ सुयोग्य मंत्री धन सिंह रावत प्रत्यक्ष रूप से इस आयोजन की सफलता के लिए सक्रिय हैं। इस आयोजन में देश के सभी 30 राज्यों के महत्वपूर्ण संत अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे तो देश और विदेश के राम भक्त ही इस लीला से साक्षात्कार के लिए ऋषिकेश पहुंच रहे हैं।
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