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अंतरराष्ट्रीय राम लीला महोत्सव ऋषिकेश का भव्य भक्तिमय तीसरा दिवस सब हेड - जनसमूह को मिली सीख अभिमान नहीं -प्रणाम करो, साथ ही विश्वास के साथ रखो विनम्रता

 अपने देश के एक कटु यथार्थ, बेटी की विदाई कभी नहीं रुकती का भी हुआ मार्मिक मंचन

भगवती सीता की विदाई के साथ हुई सामूहिक मंगलकामना, हर पिता की बेटी हर हाल में रहे सुखी और सुरक्षित


ऋषिकेश/नई दिल्ली।अंतर्राष्ट्रीय राम लीला महोत्सव ऋषिकेश के तीसरे दिन की लीला के मंचन में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पराक्रम और विनम्रता की सुंदर प्रस्तुति की गई। साथ ही हमारे भारतीय समाज के एक कटु यथार्थ कि बेटी की विदाई कभी नहीं रुकती को भी पेश किया गया। सामूहिक मंगलकामना भी की गई कि हर पिता की बेटी अपने ससुराल में हर हाल में सुखी और सुरक्षित रहे।

 तीसरे दिवस के मंचन की शुरुआत भगवती सीता के स्वयंवर सभा से हुई। स्वयंवर के दौरान सभा में जब बड़े से बड़े चक्रवर्ती सम्राट अभिमान की वजह से देवाधिदेव महादेव के धनुष को तोड़ना तो दूर हिला भी नहीं पाए थे और राजा दशरथ मायूस होते हुए अपनी पुत्री सीता के आजीवन कुंवारी रहने के भय से दुःखी हो चले थे। तभी सभा में उपस्थित विश्वामित्र मुनि ने प्रभु राम को धनुष तोड़ने की आज्ञा दी। जिसे सहर्ष स्वीकार करते हुए प्रभु राम ने सबसे पहले विनम्रता के साथ अपने दोनों हाथ जोड़े भगवान शिव के धनुष की परिक्रमा करते हुए प्रार्थना करते हैं कि हे देवाधिदेव, हो कृपा तुम्हारी तो तोड़ देंगे तेरे पुजारी।यह पूरा प्रकरण बताता कि स्वयं प्रभु राम इतने शक्तिशाली हैं लेकिन वह अपनी विनम्रता को कभी नहीं भूलते हैं , तभी तो वह सीता का वरण करने में कामयाब हो पाते हैं। सीता स्वयंवर सीख देता है कि अभिमान नहीं प्रणाम करो और साथ ही विश्वास और शक्ति के साथ साथ हमेशा विनम्र बने रहो। भगवान शंकर के धनुष टूटने के बाद बौखलाए परशुराम के क्रोध को भी प्रभु राम ने अपनी विनम्रता से शांत कर दिया। परशुराम और लक्ष्मण संवाद एक तरह से मनुष्यों के वीर शौर्य की मुखबयानी का संकेत रहा लेकिन प्रभु राम की विनम्रता ने यहां भी जहां एक ओर अपने अनुज लक्ष्मण  को परशुराम के क्रोध से बचा लिया, वहीं दूसरी ओर क्रोधित परशुराम से भी अपने लिये आशीर्वाद प्राप्त कर लिया। सार यह है कि अगर आप हर कठिन अवस्था में भी अपने लिये अन्य लोगों से सहयोग प्राप्त  कर लेते हैं तो आप एक श्रेष्ठ मानव की संज्ञा पा जाते हैं। भगवान राम के जीवन से यही सीख हम सबको मिलती है।

स्वयंवर के बाद भगवान राम की बारात का बड़ा खुशहाल वर्णन किया गया। जिसमें राजा दशरथ बारात लेकर जनकपुरी पहुँचते हैं। जहां उनका भव्य स्वागत राजा जनक करते हैं। दशरथ और जनक इतिहास में सर्वश्रेष्ठ समधी हुए हैं। लीला मंचन के दौरान प्रतीक स्वरूप दिल्ली से ऋषिकेश बारात लेकर गए आरएसएस के प्रचारक विजय शर्मा जी, उत्तराखंड के स्वास्थ्य एवं  परिवार कल्याण और शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत जी ने भी अपनी खुशहाल उपस्थिति दी। उनके साथ बारात में परमार्थ निकेतन के चिदानंद सरस्वती महाराज जी, डॉ. वेद प्रकाश टण्डन जी ने भी अपनी गौरवशाली मौजूदगी दी। 


बारात के दौरान चिदानंद महाराज जी ने कहा कि इस तरह के लीला महोत्सव से प्रभु राम के उच्च संस्कार जन समुदाय में स्वतः प्रवाहित हो जाते हैं। चिदानंद जी ने कहा कि कोई भी  साधनों से नहीं बल्कि साधना से महान बनता है। इस बात को हमारा देश चरितार्थ करता है।

उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी महाभारत के इस देश को अब महान भारत की दिशा में ले जा रहे हैं। चिदानंद  स्वामी जी ने सम्बोधन के दौरान कथा व्यास अजय भाई जी के ऐसे पावन कार्य की भूरि भूरि सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि देश हमारा भवनों से नहीं भावनाओं से महान है। इसलिए मेरा राम, मेरा राष्ट्र की भावना की अलख आप सब अब अपने हृदय में  जगाएं।

लीला मंचन के दौरान प्रभु राम की बारात स्वरूप मनमोहक नृत्य और गीत प्रस्तुत किये गए। जिसने प्रेम भक्ति भाव की अविरल गंगा उपस्थित जन समूह में प्रवाहित कर दी। कथा व्यास अजय भाई जी के अनुसार मनुष्य को जब क्रोध आता है तब ज्ञान नष्ट हो जाता है। इसलिए हमेशा अपने काम क्रोध पर मनुष्य को नियंत्रण रखना चाहिए। यह उसके शालीन होने का सूचक भी होता है।ऐसे व्यवहार के मनुष्य समाज कल्याण में निसंदेह सहायक होते हैं। लीला मंचन के दौरान प्रभु राम की बारात स्वरूप मनमोहक नृत्य और गीत प्रस्तुत किये गए। जिसने प्रेम भक्ति भाव की अविरल गंगा उपस्थित जन समूह में प्रवाहित कर दी।

 प्रभु राम की बारात के बाद हमारे देश में बेटी की विदाई की बेला आती है। जिसमें हर इंसान भावुक और द्रवित हो उठता है। भगवती सीता की विदाई के दौरान भी राजा दशरथ राजा जनक की अश्रुमय आंखों में  अपलक निहारते हुए यह मूक आश्वासन देते हैं कि तुम्हारी बेटी मेरे घर में पूर्णतया सुरक्षित रहेगी।

इस दौरान राजा जनक भी यह सोच रहे होते हैं कि जब तक राजा दशरथ आप यहां हैं तब तक मैं अपनी दुलारी सीता को अपलक पल भर निहार लूँ।

कथा व्यास अजय भाई जी आगे कहते हैं कि अपने देश भारत में यह घड़ी कभी नहीं रुकी है मतलब बेटी की विदाई कभी नहीं रुकती है। और नतीज़न भगवती सीता की विदाई का मंचन कथा व्यास अजय भाई जी समेत समूचे जनसमूह को द्रवित कर जाता है। कथा व्यास अजय भाई जी सीता जी की विदाई को याद करते हुए तीसरे दिन की लीला के सार में यही कहते रहे कि हर पिता की बेटी ससुराल में हर हाल में सुरक्षित और सुखी रहे। उल्लेखनीय है कि

साधना, साधना गोल्ड, संतवाणी और सर्व धर्म सङ्गम चैनलों में सीधा प्रसारण के दौरान परमार्थ निकेतन के आसपास और माँ गंगा के तीर का मनोरम दृश्य लीला को अलौकिक छटा प्रदान कर रहा है। जो सीधा प्रसारण देख रहे दर्शकों के लिये सोने पे सुहागा जैसा है।

गुरुवार को लीला के चौथे दिन के  मंचन में मंथरा कैकेयी संवाद, दशरथ कैकेयी संवाद, श्री राम वनवास, श्री राम केवट मिलन एवं दशरथ मरण संपन्न होगा।

लीला कथा स्वरूप हो रही है जिसमें कथा व्यास और राष्ट्र मंदिर विश्व रामायण आश्रम दिल्ली के श्री अजय भाई जी की भक्तिमय, मधुरमय वाणी,  लीला में  भक्ति की अविश्वसनीय और अविस्मरणीय मिश्री घोल रही है। उल्लेखनीय है कि इस अंतर्राष्ट्रीय वर्चुअल राम लीला महोत्सव के आयोजन में पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास सतना (मध्यप्रदेश) का अनुपम सहयोग शामिल है।

       लीला समिति के अध्यक्ष डॉ.  वेद प्रकाश टण्डन जी ने बताया कि बाल युवा  योजना के तहत देश के 5 राज्यों के विभिन्न स्कूलों वंदना इंटरनेशनल स्कूल द्वारका दिल्ली, कमल मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल मोहन गार्डन दिल्ली, गुरुग्राम ग्लोबल हाइट्स स्कूल गुरुग्राम  के बच्चे इस लीला का मंचन कर रहे हैं।

इस महोत्सव में लीला का मंचन इतना जीवंत और भक्तिमय हो रहा है कि टीवी में बैठे करोड़ों भक्त लोगों को भी प्रभु राम के आदर्श अध्यात्म की अनुपम महिमा का प्रत्यक्ष दर्शन स्वतः होने लगा होगा।

 

पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा रामलीला महोत्सव ऋषिकेश को विश्व भर में फैले रामभक्तों तक रामलीला पंहुचाने का बीड़ा उठाया हुआ है।






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