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समवशरण विधान के समापन उपरांत निकली विशाल शोभायात्रा

 बड़ामलहरा/पांच दिवसीय समवशरण महामंडल विधान के समापन पश्चात विशाल शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्ग से निकाली गई जिसमें समूचा जैन समाज शामिल रहा। नगर के द्रोणगिरि भवन परिसर में 11 नवंबर से 16 नवंबर तक आचार्य विद्यासागर महाराज की शिष्या आर्यिका वैराग्यमति माताजी के सानिध्य में आयोजित समवशरण महामंडल विधान विश्व शांति महायज्ञ के साथ संपन्न हुआ। इस अवसर पर आर्यिका वैराग्यमति माताजी ने प्रवचन के दौरान जन समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि हवन का मुख्य उद्देश्य अपने भीतर बैठीं बुराइयों का ध्वंस करना है। उन्होंने कहा कि भक्ति तीन प्रकार की होती है पत्थर के गोले की तरह, कपड़े के गोले की तरह और तीसरी शक्कर के गोले की तरह होती है। भक्ति शक्कर के गोले की तरह करने से पानी में घुलकर मीठा-मीठा आनंद देती है। विधान की प्रभावना जन-जन के हृदय में जाए यही विधान का उद्देश्य लेकर आप सब यहां से जाएं। दोपहर के वक्त कार्यक्रम स्थल से विशाल शोभायात्रा का आयोजन किया गया जिसमें समूचा जैन समाज शामिल रहा। शोभायात्रा में सबसे आगे धर्म ध्वजा लेकर युवा चल रहे थे ठीक उसके पीछे वाद्य यंत्र बजाते और थिरकते हुए लोग चल रहे थे तो उसके पीछे आर्यिका वैराग्यमति माताजी ससंघ शामिल थी उनके साथ ही अ.भा.बर्षीय दिग.जैन गुरुभक्ति महिला मंडल, बहू मंडल,बालिका मंडल तथा पुरुष वर्ग चल रहा था। उसके ठीक पीछे सौधर्म इंद्र रथ पर सवार होकर सभी प्रमुख पात्रों के साथ जिनेंद्र देव की प्रतिमा को लेकर आगे बढ़ रहे थे। विशाल शोभायात्रा चंद्रप्रभु जिनालय से वापिस होकर द्रोणगिरि भवन पहुंची जहां जैन धर्म के अनुरूप शायंकालीन भोजन का आयोजन किया गया।


इन युवाओं का रहा कार्यक्रम में बिशेष सहयोग


सकल दिगंबर जैन समाज द्वारा नगर में आयोजित हुआ समवशरण महामंडल विधान में युवाओं की टीम ने विशेष रूप से सहयोग देकर कार्यक्रम को सफल बनाया उनमें नितिन चौधरी,पंकज जैन, संजीव जैन ,विमल जैन,लौकेश जैन, नीतेश जैन, वैभव डेवडिया, बंटू डेवडिया,पवन जैन बाटू,सूजल जैन,ऋतिक शाह, विपिन जैन शास्त्री, शुभम जैन,रजनेश जैन,आशीष जैन,राजीव जैन,मनु जैन,मोनू सिजवाहा आदि शामिल है।





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