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पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास द्वारा बसंत पंचमी को * यज्ञोपवीत संस्‍कार यज्ञोपवीत संस्कार जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है : स्‍वामी संकर्षणाचार्य जी महाराज

 प्रयागराज/सतना/छतरपुर 24 जनवरी! पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास धर्म व संस्कृतिक जागरण के लिए कार्य करता है सेवा न्यास का उद्देश्य भूले हुए संस्कारों को पुनः स्थापित करने के लिए कार्य चल रहा है इसी कड़ी में प्रयागराज माघ मेला में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर श्री श्री 1008 स्वामी संकर्षणाचार्य जी महाराज के आशीर्वाद से बटुको का यज्ञोपवीत संस्कार आयोजित किया जा रहा है।           


      पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास के अध्यक्ष डॉ राकेश मिश्र ने बताया है कि यह बटुक भीम कुंड स्थित नारायण संस्कृत पाठशाला एवं अन्य विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों का उपनयन संस्कार होगा। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी गुरूवार को उन्हें ज्ञान चक्षु से दीक्षित किया जाएगा।  

डॉ राकेश मिश्र ने आगे बताया कि सनातन परंपरा के 16 संस्कारों में ‘उपनयन’ संस्कार का बहुत महत्व है। यह संस्कार अमूमन 10 साल से कम उम्र के बालकों का करवाया जाता है। पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्‍यास धार्मिक संस्‍कारों को बढ़ावा देने हेतु यह कार्यक्रम हर वर्ष करता है।

     सेवा न्यास द्वारा यज्ञोपवीत संस्कार प्रारम्भ करने के पूर्व प्रयागराज में यज्ञोपवीत होने वाले का मुंडन करवाया जाता है। संस्कार के मुहूर्त के दिन स्नान करवाकर उसके सिर और शरीर पर चंदन केसर का लेप करते हैं और जनेऊ पहनाकर ब्रह्मचारी बनाते हैं। फिर हवन करते हैं। विधिपूर्वक गणेशादि देवताओं का पूजन, यज्ञवेदी एवं बालक को अधोवस्त्र के साथ माला पहनाकर बैठाया जाता है। इसके बाद दस बार गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित करके देवताओं के आह्‍वान के साथ उससे शास्त्र शिक्षा और व्रतों के पालन का वचन लिया जाता है। गुरु मंत्र सुनाकर कहता है कि आज से तू अब ब्राह्मण हुआ अर्थात ब्रह्म (सिर्फ ईश्वर को मानने वाला) को माने वाला हुआ। इसके बाद मृगचर्म ओढ़कर मुंज (मेखला) का कंदोरा बांधते हैं और एक दंड हाथ में दे देते हैं। तत्पश्चात्‌ वह बालक उपस्थित लोगों से भिक्षा मांगता है। यह कार्यक्रम माघ मेला परिसर में संत महंतों की उपस्थिति में होगा।


जनेऊ धारण करने का आध्यात्मिक महत्व :

    तीन धागे वाले जनेऊ धारण करने वाले व्यक्ति को आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। जनेऊ के तीन धागे को देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतीक माना जाता है। इसे सत्व, रज और तम और तीन आश्रमों का भी प्रतीक माना जाता है। विवाहित व्यक्ति या फिर कहें गृहस्थ व्यक्ति के लिए छह धागों वाला जनेऊ होता है। इन छह धागों में से तीन धागे स्वयं के और तीन धागे पत्नी के लिए माने जाते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक या मांगलिक कार्य आदि करने के पूर्व जनेऊ धारण करना जरूरी है। बगैर जनेऊ के किसी भी हिंदू व्‍यक्ति का विवाह संस्‍कार नहीं होता है।    


बसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त में 26 जनवरी गुरूवार को होगा कार्यक्रम :

      माघ मेला प्रयागराज में सेवा न्यास शिविर में पं. राहुल शास्त्री जी ने कहा कि पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्यास सांस्कृतिक उत्थान में अग्रणी भूमिका का निर्वहन कर रहा है। बटुक यज्ञोपवीत संस्कार में  कौशांबी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, भदोही, सागर, पन्ना, छतरपुर, सतना, रीवा, सीधी व दमोह जिले के बच्चों का यज्ञोपवीत संस्कार पंडाल में होना है। कोई भी परिवार अपने बच्‍चों का यज्ञोपवीत संस्‍कार हेतु पं. गणेश प्रसाद मिश्र सेवा न्‍यास पंडाल में आकर इस संस्‍कार में भाग ले सकता है।


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