आदिवर्त मध्यप्रदेश जनजातीय एवं लोक कला राज्य संग्रहालय, खजुराहो का लोकार्पण आज खजुराहो में अब एक ऐसा अनूठा कला केंद्र, जहां प्रदेश की जनजातीय एवं लोक कला का अद्भुत समागम छतरपुर, 21 फरवरी 2023
पर्यटकों को मध्यप्रदेश के अंचलों एवं जनजातियों की सभ्यता और संस्कृति से परिचित कराने आदिवर्त मध्यप्रदेश जनजातीय एवं लोक कला राज्य संग्रहालय, खजुराहो में संस्कृति विभाग द्वारा प्रतिनिधि गांव का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें प्रदेश के अलग अलग लोक अंचल और जनजातियों के एक-एक आवासों को निर्मित किया जा रहा है। संग्रहालय का पहला चरण पूर्ण हो चुका है और संग्रहालय का लोकार्पण 22 फरवरी 2023 को शाम 7.30 बजे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में एवं समारोह में माननीय मंत्री पूर्वाेत्तर क्षेत्र विकास, पर्यटन एवं संस्कृति, भारत सरकार जी किशन रेड्डी, पर्यटन, संस्कृति और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर, सांसद, खजुराहो वी.डी. शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति में होगा। इस अवसर पर संग्रहालय का लोकार्पण, कलाकार पंचायत, राज्य सम्मान अलंकरण कार्यक्रम होंगे।
जानकारी देते हुये संचालक, संस्कृति संचालनालय अदिति कुमार त्रिपाठी ने बताया कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय की खजुराहो को अंतर्राष्ट्रीय कला केन्द्र के रूप मे विकसित किये जाने की घोषणा के क्रम मे इस संग्रहालय का विस्तार किया जा रहा है। संग्रहालय में बन रहे आवासों में अलग-अलग जनजातीय समुदाय द्वारा उपयोग की जाने वाली दैनिक जीवन की वस्तुएं भी प्रदर्शित की गई हैं। इसके अलावा परिसर में अन्य जनजातीय और लोक के प्रतिकों को कलात्मक ढंग से संयोजित किया गया है।नए कलेवर में स्थापित किया जा रहा संग्रहालय
उन्होंने कहा कि योजना के तहत जनजातीय आवासों के निर्माण का कार्य का पहला चरण पूरा किया जा चुका है। यथा शीघ्र ही लोकांचलों के आवास के निर्माण का कार्य आरंभ होगा। पहले से बने संग्रहालय भवन को नए कलेवर में स्थापित किया जा रहा है जिसमें मध्यप्रदेश के जनजातीय और लोक के वह कलामात्मक अभिप्राय जो उन आवासों में प्रदर्शन से छूट जाएंगे, उनके प्रदर्शन की जगह के रूप में संग्रहालय के भवन का इस्तेमाल किया जाएगा।
प्रदेश के पांचों लोकांचल के पारंपरिक आवास और रूपकार साथ ही संग्रहालय में प्रदेश के लकड़ी, मिट्टी, लोह के शिल्पकारों को एकत्रित कर अपने-अपने जनजातीय रूपाकारों को रचने का कार्य किया गया है और सभी रूपाकार दीर्घाओं में प्रदर्शन के लिए और घरों को समृद्ध करने के लिए उपयोग में लिए गए। यहां प्रदेश की गोण्ड, बैगा, कोरकू, भील, भारिया, सहरिया और कोल के पारंपरिक जनजातीय आवासों का संयोजन किया गया है। इसके साथ यहां पर प्रदेश के पांचों लोकांचल बुंदेलखंड, निमाड़, मालवा, बघेलखंड और चंबल की कला-संस्कृति के पारंपरिक आवासों को भी विस्तारित किया जाएगा।
No comments