ads header

Breaking News

आत्मनिर्भर बनने की अनोखी कहानी सुमन अपने हाथों के हुनर से गांव की मिट्टी को बना रही आमदनी का जरिया प्रेरित होकर गांव की 60 महिलाओं ने भी चुना यही काम और बन गई आत्मनिर्भर

 छतरपुर जिले के नौंगाव ग्राम विलहरी निवासी श्रीमती सुमन प्रजापति ने अपने हांथों के हुनर से ’’मिट्टी में हाथ डाले तो सोना हो जाए’’ कहावत को सिद्ध कर दिखाया। हांथों के हुनर से लिखी गई यह गांव की मिट्टी से आमदानी बढ़ाने और उसके महत्व को समझाने की सत्य कहानी को आप पढ़ रहें है। श्रीमती सुमन प्रजापति का जन्म टीकमगढ़ के जतारा में एक निर्धन परिवार में हुआ था। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण सुमन ने ज्यादा पढाई.लिखाई नहीं की और उनकी शादी हो गई।

ससुराल में भी परिवारिक की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण सुमन के पति परिवार का भरण पोषण ठीक से नही कर पा रहे थे तो वहीं सुमन ने अपने घर की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए कुछ कर दिखाने का हौंसला बनाया और आमदनी का जरिया तलाशना शुरू कर दिया।
अचानक एक दिन राज्य ग्रामीण आजीविका मिषन की टीम ग्राम में स्व-सहायता समूह गठन हेतु जा रही थी तभी उनकी सुमन से मुलाकात हुई और टीम के द्वारा सुमन को परिवारिक जिम्मेदारी के साथ-साथ उनके पुस्तैनी कार्य को शुरू करते हुए समूह से जुड़ने और होने वाले फायदे बताकर प्रेरित किया।
सुमन ने अम्बे समूह से जुड़कर अपने पुस्तैनी व्यापार (मिट्टी वर्तन एवं खिलौने) का निर्माण कार्य नई तकनीकि पद्धति से और आजीविका मिशन के सहयोग से प्रारंभ किया। जिसके लिए समूह को आजीविका मिषन के सहयोग से चक्रीय राषि के रूप में 15 हजार रूपए मिले। उसके बाद चक्रीय राषि का ऋण चुकाने के बाद आजीविका ऋण हेतु आवेदन किया जिससे आजीविका मिषन द्वारा उन्हे राषि रू. 1 लाख 40 एवं बैंक लिंकेज के माध्यम से भी ऋण प्राप्त हुआ। जिससे उन्होंने इलेक्ट्रानिक चक्का खरीदा व मिट्टी के बर्तन एवं खिलौने बनाने लगी। जिनको वह स्थानीय बाजारों, जिले में आयोजित मेलों व अन्य अवसरों पर विक्रय करने से उनकी आय में काफी मुनाफा होने लगा। साथ अन्य समूह से जुड़ी महिलाओं ने भी सुमन की समझाइस और हो रहे लाभ से प्रेरित होकर 15 इलैक्ट्रिक चाक खरीदे और अब गांव की करीब 60 महिलाएं इस कार्य को करते हुए अच्छा खासा आर्थिक मुनाफा कमा रहीं है। सुमन ने बताया कि ग्राम में गठित स्व-सहायता समूह की महिलाओं एवं उनके परिवारों को जोखिम सुरक्षा (वीमा) दिलाने का भी कार्य किया गया। सुमन ने अपने हाथों के हुनर से अपने गॉव की मिट्टी को सोना बनाने की कहावत को सार्थक कर दिखाया। जो निष्चित ही आत्मनिर्भर बनने की दिशा में महिलाओं के लिए प्रेरणादायी है।



No comments