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भविष्य की आहट / डा. रवीन्द्र अरजरिया देश के सम्मान पर कैम्ब्रिज में चोट

 दुनिया में भारत का डंका बजना शुरू हो गया है। जी 20 से लेकर क्वाड तक की बैठकों का दौर चल रहा है। समूचा विश्व आज भारत की मेजबानी में हो रहे आयोजनों पर नजरें गडाये है। रूस-यूक्रेन युध्द के आक्रामक माहौल ने जब संसार को दो भागों में विभाजित कर दिया है तब भारत के तटस्थ और सकारात्मक दृष्टिकोण ने अपनी अलग पहचान स्थापित की है। अमेरिका और रूस आपसी विरोधाभाषी नीतियों के बाद भी भारत के हितों पर सहयोगात्मक रुख अपना रहे हैं। ऐसे में जी 20 तथा क्वाड के वर्तमान आयोजनों हेतु संतुलित वातावरण का निर्माण करके वैश्विक संगठनों को उनके स्वरूप के अनुसार तीव्रता प्रदान करना असम्भव नहीं तो कठिन अवश्य है। दो धारी तलवार के मध्य महात्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने में अभी तक देशदेश का नेतृत्व और आम आवाम सफल ही रहा है। ऐसे में कांग्रेस के सर्वमान्य नेता राहुल गांधी का विदेशी धरती पर देश की आलोचना करना आश्चर्यजनक होने के साथ-साथ हास्यास्पद भी बन गया है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में उनके उद्बोधन ने उनकी सोच को उजागर कर दिया है। वे कभी चीन को शान्ति का पक्षकार निरूपित करते हैं तो कभी भारत में लोकतंत्र को खतरा बताते हैं। कश्मीर को इंसर्जेसी प्रोन स्टेट के रूप में परिभाषित करते हुए उसे कथित हिंसक जगह बताते हैं। गोरों की धरती पर भारत की मनगढन्त आलोचना करके आखिर वे हासिल क्या करना चाहते हैंयह दुनिया की समझ से परे है। वैश्विक संगठनों के सदस्य देशों आज भारत की धरती पर प्यार लुटाते नहीं थक रहे हैं। इन संगठनों की गरिमा जानने हेतु उनके इतिहास पर संक्षिप्त दृष्टि डालना आवश्यक है ताकि वास्तविकता पर प्रकाश और विवेचना को दिशा मिल सके। क्वाड की स्थापना सन 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिजो आबे ने अमेरिका के उप राष्ट्रपति डिक चेनीआस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री जान हावर्ड तथा भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ मिलकर की थी। क्वाड का पूरा नाम क्वाड्रीलेटरल सिक्यूरिटी डायलाग यानी कि चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता है। इस संगठन का उद्देश्य इंडो पैसिफिक रीजन में समुद्री रास्तों से आपसी व्यापार को सरल बनाना था जिसका मुख्यालय बेल्जियम के ब्रूसेल्स शहर में स्थापित किया गया। यह संगठन उभरती प्रौद्योगिकियोंकनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचेसाइबर सुरक्षासमुद्री सुरक्षामानवीय सहायताआपाद राहतजलवायु परिवर्तनमहामारी और शिक्षा जैसे समकालीन वैश्विक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान करता है। मार्च 2021 में अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने आभासी प्रारुप में क्वाड देशों के पहले शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। उसमें भारत के प्रशान्त क्षेत्र को पूरी तरह से स्वतंत्रखुलासमावेशी और जबरदस्ती रहित बनाने पर सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया गया था। 24 सितम्बर 2021 को इसी को दोहराया गया। चीन की आक्रामता के विरुध्द इस संगठन ने सकारात्मक वातावरण निर्मित करने के प्रयास किये। वहीं सन 2017 तक जी 20 समूह में आस्ट्रेलियाब्राजीलकनाडाचीनयूरोपीय संघफ्रांसजर्मनीभारतइंडोनेशियाइटलीजापानमैक्सिकोरूससऊदी अरबदक्षिण अफ्रीकादक्षिण कोरियातुर्कीयूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ही शामिल थे किन्तु  स्पेन स्थायी अतिथि की गरिमा से प्रत्येक बैठक में आमंत्रित किया जाता रहा है। यह आर्थिक सहयोग का एक प्रमुख मंच है जो सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महात्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी स्थापना 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद की गई थी। इस संगठन को सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के स्तर पर अत्याधिक संवेदनशील और मजबूत बनाया गया। सन 2009 में इसे अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग हेतु प्रमुख मंच के रूप में नामित किया गया। व्यापारजलवायु परिवर्तनसतत विकासस्वास्थ्यकृषिऊर्जापर्यावरण और भ्रष्टाचार विरोध जैसे मुद्दों को भी संगठन ने विचार विमर्श में शामिल किया ताकि वैश्विक स्तर पर विकास के नये कीर्तिमान गढे जा सकें। इस संगठन के सदस्य देशों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पादन का लगभग 85 प्रतिशतवैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत तथा विश्व की आबादी का दो तिहाई भाग आता है। वर्तमान में जी 20 सम्मेलन हेतु सदस्य देशों के अलावा बांग्लादेशईजिप्टमारिशसनादिर लैण्डनाइजीरियाओमानसिंगापुरसंयुक्त अरब अमीरात सहित स्पेन को भी विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। नियमित अंतरराष्ट्रीय संगठनों में यूएनआईएमएफईब्ल्यूबीडब्ल्यूएचओडब्ल्यूटीओआईएलओएफएसबीओईसीडी तथा क्षेत्रीय संगठनों में एयूएयूडीए-एनईपीएडीआसियान सहित आईएसएसीडीआरआईएडीबी को भी भारत ने जी 20 सम्मेलन में आमंत्रित किया है। इस तरह के वैश्विक संगठनों के सदस्य देशों की एक साथ मेजबानी कर रही वसुन्धरा आज पुन: विश्वगुरु के सिंहासन की ओर निरंतर बढ रही है परन्तु देश के सम्मान पर कैम्ब्रिज में चोट करके कांग्रेस के सर्वमान्य नेता राहुल गांधी ने अपनी वास्तविक सोच उजागर कर दी है जिसे सुखद कदापि नहीं कहा जा सकता। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ पुन: मुलाकात होगी।  



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